मस्क की कंपनी से इसरो के सैटेलाइट लांच

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बेंगलुरु। अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने भारत के नए संचार उपग्रह जीसैट-एन2 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया। मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक शाखा न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने जानकारी दी। सैटेलाइट को फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए भेजा गया।
एनएसआईएल के मुताबिक, 4,700 किलोग्राम वजन वाले जीसैट-एन2 हाई-थ्रूपुट (एचटीएस) उपग्रह के मिशन की अवधि 14 वर्ष है। इस सैटेलाइट की मदद से पूरे भारतीय क्षेत्र में ब्रॉडबैंड सेवाओं और विमानों की उड़ान में कनेक्टिविटी बढ़ेगी। यह पहली बार है, जब इसरो ने किसी अमेरिकी कारोबारी की कंपनी की मदद से संचार उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा है। एनएसआईएल ने एक्स पर लिखा, एचटीएस संचार उपग्रह को 19 नवंबर, 2024 को अमेरिका के केप कैनवेरल से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। जीसैट-एन2 वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित कर दिया गया है और इसरो की ‘मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी’ (एमसीएफ) ने उपग्रह का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है। फिलहाल, उपग्रह अच्छी स्थिति में है। दरअसल, जीसैट-एन2 को जीसैट 20 भी कहा जाता है। यह एक संचार उपग्रह है, जो एक केए-बैंड हाई थ्रूपुट पेलोड से लैस है। यह 48 जीबीपीएस की डाटा ट्रांसमिशन क्षमता प्रदान करता है। इसमें 32 यूजर बीम है, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र पर आठ संकीर्ण स्पॉट बीम और शेष भारत पर 24 चौड़े स्पॉट बीम शामिल हैं। इन 32 बीम को भारत की मुख्य भूमि में स्थित हब स्टेशन से सपोर्ट दिया जाएगा, जिससे इसकी पहुंच देश के सुदूरतम भागों तक हो सकेगी। इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन ने कहा, संचार उपग्रह जीसैट-एन2 को इसलिए स्पेसएक्स पर निर्भर रहना पड़ा, क्योंकि भारत के पास मौजूदा प्रक्षेपण वाहनों में 4,000 किलोग्राम से अधिक भार ले जाने की क्षमता नहीं है। स्पेसएक्स द्वारा प्रक्षेपित उपग्रह इसरो के प्रक्षेपण यान की क्षमता से अधिक भारी था, इसीलिए इसे प्रक्षेपण के लिए बाहर भेजा गया। उनके अनुसार, इसरो की क्षमता चार टन है जबकि जीसैट-एन2 का वजन 4.7 टन है। फिलहाल, इसरो की क्षमताओं को बढ़ाने की योजनाएं हैं और इस संबंध में गतिविधियां जारी हैं।

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