नई दिल्ली। टीएलआई
अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए इजरायल निर्मित हेरोन ड्रोन को तैनात किया गया है।
सूत्रों के अनुसार ड्रोन के साथ ही भारतीय सेना की विमानन शाखा ने क्षेत्र में उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर रूद्र की तैनाती की है। इससे क्षेत्र में इसका मिशन और तीव्र हुआ है। हेरोन ड्रोन सबसे पहले क्षेत्र में करीब चार-पांच वर्ष पहले तैनात किए गए थे और अब निगरानी को सेंसर टू शूटर योजना के तहत और बढ़ाया गया है ताकि किसी भी संभावित अभियान के लिए सैन्य बल की त्वरित तैनाती की जा सके। एएलएच हेलीकॉप्टर के डब्ल्यूएसआई संस्करण की तैनाती से सेना को ऊंचे इलाकों में विभिन्न मिशन के लिए और लाभ मिला है। सेना ने इस वर्ष इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र विमानन ब्रिगेड बनाई है ताकि संवेदनशील क्षेत्र में संपूर्ण संचालनात्मक तैयारियों को मजबूती दे सके। एएलएच हेलीकॉप्टर पर तैनात हथियारों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने विस्तार से जानकारी देने से इंकार कर दिया लेकिन कहा कि यह बेहतरीन है और विरोधी के खिलाफ काफी प्रभावी होगा। गौरतलब है कि पिछले वर्ष गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद भारत ने करीब 3400 किलोमीटर लंबी एलएसी के पास संपूर्ण तैनाती में बढ़ोतरी की है। इसके अलावा यह आधारभूत सुविधाओं का भी विकास कर रहा है। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने बताया कि इजरायल निर्मित हेरोन मध्यम ऊंचाई वाले और लंबे समय तक उड़ान भर सकने वाले ड्रोन एलएसी के पास पहाड़ी क्षेत्रों में चौबीसों घंटे निगरानी कर रहे हैं। ये ड्रोन महत्वपूर्ण आंकड़े एवं चित्र कमान एवं नियंत्रण कक्षों को भेज रहे हैं। ये ड्रोन लगभग 30 हजार फीट की उंचाई तक उड़ान भर सकते हैं और सीमा पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कदमों पर नजर रखने के लिए बहुत मददगार हैं। इस ड्रोन की मदद से सेना सैकड़ों किलोमीटर दूर से ही दुश्मन सेना की तैयारियों, उनके द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य आदि पर नजर बना के रख सकती है। यह दुर्गम क्षेत्रों में सेना की आंख की तरह काम करती है।