अंतरिक्ष की दौड़ में ईरान भी शामिल, कैप्सूल में भेजे जानवर

अंतरराष्ट्रीय


तेहरान। अंतरिक्ष में कामयाब होने की होड़ लग गई है। भारत ने चंद्रयान में कामयाब होने के बाद सूर्य मिशन में आगे बढ़ गया है। अन्य देश भी प्रयासरत है। इस बीच ईरान ने भी जानवरों को एक कैप्सूल में अंतरिक्ष की कक्षा में भेजा है। ईरान आने वाले वर्षों में अंतरिक्ष में बड़े मानव मिशन की तैयारी में है।
ईरान दूरसंचार मंत्री ईसा जारेपुर ने कहा कि कैप्सूल को कक्षा में 130 किलोमीटर प्रक्षेपित किया गया। उन्होंने कहा कि यह कैप्सूल 500 किलोग्राम वजन का था। इसमें कई प्रकार के कई जानवर हैं। कैप्सूल के प्रक्षेपण का उद्देश्य आने वाले वर्षों में ईरानी अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है। उन्होंने यह नहीं बताया कि कैप्सूल में किस तरह के जानवर थे। ईरान उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष यान के सफल प्रक्षेपण की घोषणा करता रहता है। इस कैप्सूल में एक, दो नहीं…बल्कि कई जानवर हैं। ईरान के इस अंतरिक्ष मिशन पर अमेरिका और इजरायल समेत दुनिया के अन्य देशों की बेहद पैनी नजर है। ईरान उपग्रहों और अन्य अंतरिक्ष यान के सफल प्रक्षेपण की घोषणा करता रहता है। सितंबर में, ईरान ने कहा कि उसने आंकड़े एकत्र करने वाला उपग्रह अंतरिक्ष में भेजा है। ईरान ने 2013 में कहा कि उसने एक बंदर को अंतरिक्ष में भेजा और उसे सफलतापूर्वक धरती पर वापस भी लेकर आया गया। 1960 के दशक में नासा ने अपने एक प्रोग्राम के तहत बंदरों और चिम्पैंजियों को स्पेस में भेजा था। इस प्रोजेक्ट का नाम मरक्यूरी स्पेस प्रोजेक्ट था। इसके तहत चिम्पैंजी को पूरी तैयारी के साथ अंतरिक्ष में भेजा गया था। अमेरिका ने 1948 में सबसे पहले अलबर्ट नाम के बंदर को वी2 रॉकेट में भेजा गया था, जिसकी रास्ते में ही दम घुटने से मौत हो गई थी। इसके बाद अगले साल ही अलबर्ट 2 नाम के एक बंदर को भेजा गया, जो लौटते वक्त हादसे का शिकार हो गया।

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