इस्लामाबाद।
पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले अपने ट्रकों में मानवीय सहायता का सामान काबुल तक पहुंचाना चाहता था। भारत ने प्रस्ताव रखा कि खाद्यान्न को भारतीय या अफगान ट्रकों में अफगानिस्तान भेजा जाए। बाद में दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि गेहूं अफगान ट्रकों द्वारा ले जाया जाएगा और अफगान ठेकेदारों की एक सूची पाकिस्तान के साथ साझा की गई। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि भारत फरवरी से पाकिस्तान के रास्ते संकटग्रस्त अफगानिस्तान के लिए गेहूं की खेप भेजना शुरू कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक भारत और पाकिस्तान ने महीनों की चर्चा के बाद अफगानिस्तान के लिए गेहूं की आपूर्ति के तौर-तरीकों पर सहमति व्यक्त की है।
मीडिया में आई खबर के मुताबिक, गेहूं भेजने का काम फरवरी में शुरू होगा। निर्धारित तौर-तरीकों के अनुसार, भारत को पहली खेप के 30 दिनों के भीतर गेहूं की पूरी आपूर्ति करनी होगी। दोनों देशों ने अपने तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद अफगानिस्तान को लेकर सहयोग करने का फैसला किया है। तौर-तरीकों पर सहमत होने के लिए दोनों पक्षों में कई हफ्तों तक चर्चा हुई। मानवीय संकट से निपटने के लिए अफगानिस्तान को भारत निर्बाध मानवीय सहायता देने की वकालत कर रहा है। वह पाकिस्तान के रास्ते सड़क परिवहन के जरिए 50 हजार टन गेहूं और दवाएं अफगानिस्तान भेजने की पहले ही घोषणा कर चुका है। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद पिछले साल पाक ने भारत को अपना भूमि मार्ग उपयोग करने की इजाजत दी थी। पाक विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार अहमद ने संवाददाताओं से कहा कि अब सभी इंतजाम कर लिए गए हैं और पाकिस्तान पहली खेप की तारीख का इंतजार कर रहा है। भारत ने पिछले साल सात अक्टूबर को पाकिस्तान को अफगानिस्तान की मदद का प्रस्ताव भेजा था। इसके बाद 24 नवंबर को इस्लामाबाद से इसका जवाब मिला था। उसके बाद से बातचीत आगे बढ़ी। शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि सरकार अफगान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।