नई दिल्ली। टीएलआई
हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत भारत 2032 से 4 चरणों में एचएफसी के स्तर में कमी लाएगा, जिसे 2032 में 10 प्रतिशत, 2037 में 20 प्रतिशत, 2042 में 30 प्रतिशत और 2047 में 80 प्रतिशत की कमी के साथ पूरा करेगा। इस गैस का इस्तेमाल रेफ्रिजरेशन क्षेत्र में होता है लेकिन इसके इस्तेमाल से ओजोन परत को क्षति पहुंचती है। इससे जुड़े समझौते को अक्टूबर, 2016 में रवांडा के किगाली में आयोजित मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकारों की 28वीं बैठक के दौरान अंगीकार किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बयान में कहा गया है कि एचएफसी के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने में मदद मिलेगी और इससे लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए भारत में लागू समय-सारणी के अनुसार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय रणनीति को उद्योग से जुड़े सभी पक्षकारों के साथ आवश्यक परामर्श के बाद 2023 तक तैयार किया जाएगा। बयान के अनुसार, किगाली संशोधन के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और खपत के उचित नियंत्रण की अनुमति देने के लिए वर्तमान कानूनी ढांचे में संशोधन, ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ (विनियमन और नियंत्रण) नियमों को 2024 के मध्य तक बनाया जाएगा।
गौरतलब है कि ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल, ओजोन परत के संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि है, जिसमें मानव निर्मित रसायनों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किये जाने की बात कही गई है। भारत 19 जून 1992 को ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का एक पक्षकार बन गया था । केंद्रीय मंत्रिमंडल की वर्तमान मंजूरी, भारत में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीक से कम करने के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन की पुष्टि करेगा।