लखनऊ। राजेंद्र तिवारी
निकाय चुनावों के लिए जारी ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने रद्द कर दिया है। साथ ही एससी/एसटी वर्ग को छोड़कर बाकी सभी सीटों को सामान्य सीटों के तौर पर अधिसूचित करने का भी आदेश दिया है। न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया है। साथ ही न्यायालय ने उस शासनादेश को भी निरस्त कर दिया है जिसमें निकायों का कार्यकाल समाप्त होने पर इनके बैंक अकाउंट प्रशासकीय अधिकारियों के नियंत्रण में दे दिए गए थे।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने निकाय चुनावों के लिए 5 दिसम्बर को जारी उस ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया जिसके जरिए सरकार ने एससी, एसटी व ओबीसी के लिए आरक्षण प्रस्तावित किया था। न्यायालय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित ट्रिपल टेस्ट के बगैर ओबीसी आरक्षण नहीं लागू किया जाएगा। कोर्ट ने एससी/एसटी वर्ग को छोड़कर बाकी सभी सीटों को सामान्य सीटों के तौर पर अधिसूचित करने का आदेश दिया है। हालांकि न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि महिला आरक्षण संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार दिए जाएं। न्यायालय ने सरकार को निकाय चुनावों की अधिसूचना तत्काल जारी करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि के कृष्ण मूर्ति व विकास किशनराव गवली मामलों में दिए ट्रिपल टेस्ट फार्मूले को अपनाए बगैर ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता। संविधान के अनुच्छेद 243-यू के तहत निकायों के कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व चुनाव करा लेने चाहिए जबकि ट्रिपल टेस्ट कराने में काफी वक्त लग सकता है, लिहाजा निकायों के लोकतान्त्रिक स्वरूप को मजबूत रखने के लिए व संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि निकाय चुनाव जल्द करा लिए जाएं। न्यायालय ने यह भी व्यवस्था दी कि यदि किसी निकाय का कार्यकाल चुनाव से पूर्व समाप्त हो जाता है तो जिलाधिकारी, अधिशासी अधिकारी अथवा नगर आयुक्त व जिलाधिकारी द्वारा नामित जिला स्तर के किसी अधिकारी की कमेटी उक्त निकाय के रोजाना के कामकाज देखेगी। उक्त कमेटी को कोई बड़ा नीतिगत निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं होगा।