लखनऊ । प्रिया सिंह
सोशल मीडिया में सेल्फी के बढ़ते प्रचलन को दारुल उलूम के इफ्ता विभाग ने हराम करार दिया है। मुफ्ती-ए-कराम ने पाकिस्तान के युवक द्वारा पूछे गए सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि सेल्फी युवतियों के लिए ही नहीं मर्दों के लिए भी नाजायज है, क्योंकि वह उसे सोशल मीडिया में शाय (प्रकाशित) कर देते हैं, जिससे उन पर नामहरम मर्दों और औरतों की नजरें पड़ने से बेपर्दगी और बेहयाई बढ़ती है।
मिली जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया पर सेल्फी को लेकर छाया दारुल उलूम का फतवा लोगों के लिए चर्चा का विषय बना रहा। हालांकि, दारुल उलूम के फतवे को मुफ्ती-ए-कराम ने शरीयत की रूह से जायज ठहराया। सेल्फी का प्रचलन अब युवाओं में जुनून की हद तक पहुंच गया है। आलम यह है कि अब सेल्फी लेने के बाद युवा ही नहीं बड़ी उम्र के लोग भी उसे सोशल मीडिया में डाल अपनी गतिविधियों से अपने परिचितों के साथ आमजन को अवगत कराते हैं। महिलाओं के फोटो खिंचवाने को नाजायज करार देने के बाद अब दारुल उलूम के सेल्फी को नाजायज करार देने वाले फतवे में कहा गया कि सेल्फी लेकर फोटो को आम लोगों तक पहुंचाया जाता है, जिसमें महिलाओं के फोटो गैर मर्द और पुरुषों के फोटो महिलाएं देखती हैं।मुफ्ती-ए-कराम की खंडपीठ ने कहा कि गैर मर्दों और औरतों के फोटो या सेल्फी देखना शरीयत की रूह से नाजायज है। उन्होंने कहा कि फोटो सिर्फ जरूरत के लिए खिंचवाए जा सकते हैं, न कि शौक के लिए। दारुल इल्म के मोहतमिम मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा कि किसी जानदार की फोटो बनवाना नाजायज है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जरूरी दस्तावेजों के लिए फोटो उतरवाए जा सकते हैं। लेकिन सेल्फी उतारने के बाद उसे नामहरमों के बीच भेजना हराम है।