किसानों के आंदोलन के आगे झुकी सरकार, संसद में कृषि कानून वापसी तक जारी रहेगा आंदोलन

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सोनभद्र। जलाल हैदर खान
जैसे ही आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कृषि कानून वापसी की घोषणा की गई किसानों के चेहरे पर विजयश्री की खुशी की लहर देखने को मिली । पिछले एक साल से किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे पूर्वांचल नव निर्माण किसान मंच तथा पूर्वांचल नव निर्माण मंच के नेता श्रीकांत त्रिपाठी तथा गिरीश पाण्डेय ने कहा गांधीवादी विचारधारा से चल रहे किसानों के सत्याग्रह के सामने सरकार झुक गयी।
नेता द्वय ने कहा संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर पिछले साल 26 जनवरी को सोनभद्र में विशाल ट्रैक्टर परेड निकालकर पूर्वांचल नव निर्माण मंच तथा पूर्वांचल नव निर्माण किसान मंच के किसान मोर्चे में शामिल होकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा था। बाद में 19 फरवरी को भी दोषपूर्ण कृषि कानून की वापसी के लिए प्रदर्शन करते हुए महामहिम को पत्र भेजकर कानून वापसी की मांग की गई थी। नेता द्वय ने बताया संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर 28 मार्च को सोनभद्र मे मंच के किसानों ने दोषपूर्ण काले कृषि कानून की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया था। 26 मई को आंदोलन के छह माह पूर्ण होने पर राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा गया था । इसी क्रम मे 5 जून को कृषि कानून पारित होने की पहली वर्ष गांठ पर भी विरोध दर्ज कराया गया था मंच के किसानों के द्वारा विरोध-प्रदर्शन करते हुए । 10 जून को किसानों ने काला दिवस मनाकर घरों पर काला झंडा फहराते हुए विरोध दर्ज कराया तो 26 जून को अघोषित आपातकाल दिवस मनाकर विरोध दर्ज कराया था। नेता द्वय ने बताया मँहगाई के विरोध मे संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर दिनांक 8 जुलाई को केन्द्र सरकार का पुतला दहन किया गया था तो 17 जुलाई को विपक्ष के नेताओं को भी पत्र लिखकर किसान आंदोलन के समर्थन का आह्वान किया गया था । नेता द्वय ने कहा विपक्ष के नेता राहुल गांधी का समर्थन लगातार किसानों को मिलता रहा। आगे भी संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर लगातार मंच के किसान सोनभद्र मे आयोजन करते रहे । इस क्रम मे लखीमपुर खीरी मे मृतक किसानो को न्याय दिलाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर जनप्रतिनिधियों का पुतला दहन करने पर मंच के किसानों पर मुकदमा दर्ज भी किया गया।
नेता द्वय ने बताया कि जबतक कृषि कानून संसद मे संवैधानिक रुप से वापस नही हो जाता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनन गारंटी तथा अन्य कृषि समस्याओं पर सरकार से सहमति नही बन जाती किसान आंदोलन जारी रहेगा । नेता द्वय ने कहा भाजपा सरकार ने सहानुभूति मे कानून वापसी की घोषणा नहीं की है, यह चुनाव हारने का भय है जो सरकार किसानों की बात करने लगी है ।

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