नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
राजस्थान के कोटा में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने एक ऐसे आईआरएस अधिकारी को पकड़ा जो रिश्वत का लाखों रुपये मिठाई के डिब्बे में लेकर आ रहा था। आईआरएस अधिकारी शशांक यादव गाजीपुर के अफीम फैक्ट्री का महाप्रबंधक है और इसके पास मध्यप्रदेश के नीमच अफीम फैक्ट्री का का भी कार्यभार है।
आरोप है कि कोटा, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़ व झालावा के किसानों से अधिकारी ने रिश्वत के पैसे लिए थे।
कोटा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसीबी ठाकुर चन्द्रशील की ओर से मिली जानकारी के अनुसार अफीम फैक्ट्री के जीएम शशांक यादव के बारे में गुप्त सूचना मिली थी कि वह रिश्वत का पैसे लेकर गाजीपुर जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह शशांक यादव नीमच आया है और रिश्वत के करीब 15 लाख रुपए लेकर कार से वह चित्तौड़गढ़- कोटा होता हुआ गाजीपुर जाएगा। शशांक पर आरोप है कि कोटा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ACB ठाकुर चन्द्रशील ने बताया कि एसीबी को सूचना मिली थी कि पिछले सप्ताह शशांक यादव नीमच आया है और वसूल किए गए लगभग 15 लाख रुपए लेकर कार से चित्तौड़गढ़- कोटा होता हुआ गाजीपुर जाएगा। सूत्रों के अनुसार शशांक और नीमच में कार्यरत अन्य कर्मचारी अजीत सिंह, दीपक यादव और दलालों के माध्यम से 60 से 80 हजार रुपए प्रति किसान वसूली होती है। रिश्वत के बदले अफीम की बढ़िया गाढ़ता व मारफीन प्रतिशत ज्यादा बताकर पट्टा दिलवाया जाता है। रिश्वत नहीं देने पर अफीम को घटिया करार दिया जाता है। एएसपी चंद्रशील के मुताबिक शशांक यादव के निर्देश पर हीअफीम फैक्ट्री नीमच से राजस्थान के लाइसेंसी काश्तकारों की अफीम जमा कराई जाती है। वर्तमान में फैक्ट्री को अफीम देने वाले मध्यप्रदेश व राजस्थान के काश्तकारों के सैंपल की जांच हो रही है। सेंटरों पर जांच के बाद प्रतिशत के हिसाब से काश्तकारों को भुगतान किया जाता है। उससे जुड़े ही 15 लाख रुपए डिब्बे और पर्स से 1 लाख 32 हजार 410 रुपए बरामद हुए। वहीं नीमच में कार्यरत अन्य कर्मचारी अजीत सिंह, दीपक यादव और दलालों के माध्यम से 60 से 80 हजार रुपए प्रति किसान वसूले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी के समय गाज़ीपुर अफीम फैक्ट्री के महाप्रबंधक की कार से 16. 32 लाख रुपये बरामद हुए। पूछताछ में मिठाई के डिब्बों में इतनी बड़ी राशि को लेकर जीएम शशांक यादव जवाब नहीं दे सके। आरोप है कि इतनी मोटी रकम नीमच में अफीम किसानों से पट्टे जारी करने व अफीम की क्वालिटी अच्छी बताने के एवज में रिश्वत के रूप में वसूली गई थी।