नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
रक्षाबंधन पर्व पर बहनें इस बार भाइयों को महासंयोग पर रक्षा बांधेंगी। यह महासंयोग इससे पहले 11 अगस्त 1547 को आया था। यानी 474 साल बाद महासंयोग बन रहा है। भद्रा सुबह खत्म होने के कारण दिन भर राखी का मुहूर्त है, लेकिन अमूत मुहूर्त सुबह 10 बजकर 45 से 12 बजकर 22 बजे के बीच है।
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के धर्मशास्त्रियों के अनुसार श्रवण नक्षत्र में मनाए जाने वाला रक्षा बंधन का पर्व इस बार धनिष्ठा नक्षत्र में मनाया जाएगा। यह बहुत ही शुभ और फलदायक है। एक ही राशि में गुरु और चंद्रमा के होने से गज केसरी योग भी बन रहा है। यही नहीं मंगल और बुध के साथ सूर्य सिंह राशि में रहेंगे। वहीं शुक्र ग्रह कन्या राशि होंगे। ज्योतिषविदों का कहना है कि रक्षा बंधन के दिन ग्रहों की ऐसी स्थिति 474 साल बाद बन रही है। 22 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन सुबह 6:15 बजे भद्रा खत्म होने से रक्षाबंधन भद्रा मुक्त रहेगा। ज्योतिष की दृष्टि से पांच चौघड़िया मुहूर्त में से ‘अमृत’ चौघड़िया मुहूर्त में राखी बांधना सबसे श्रेष्ठ समय माना गया है। इसलिए अगर बहनें अमृत मुहूर्त में अपने भाई को राखी बांधे तो इससे भाई को दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ की प्राप्ति होती है। अमृत मुहूर्त सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट के बीच रहेगा। हालांकि अन्य मुहूर्त भी श्रेष्ठ है। बस शाम 4:30 से छह बजे के बीच राहुकाल होगा। ऐसे में राहुकाल में राखी बांधने से बचना चाहिए। राखी बांधने के लिए इस समय का त्याग करें।