जलवायु परिवर्तन से निपटने की जी-20 देशों ने प्रतिबद्धता जताई

अंतरराष्ट्रीय

रोम।
इटली की राजधानी रोम में आयोजित जी-20 समूह के सम्मेलन में सदस्य देशों के नेताओं ने घोषणापत्र जारी करके कोविड-19 से निपटने के प्रयासों के लिए स्वास्थ्य सेवा एवं अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों एवं वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया। वहीं, जलवायु संकट को लेकर गहराती चिंता जताते हुए इस सदी के मध्य तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य स्तर तक लाने यानी कार्बन तटस्थता हासिल करने की प्रतिबद्धता जताई है। जी-20 के नेताओं ने वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए सार्थक और प्रभावी कार्रवाई करने का संकल्प भी लिया है।
दो दिनों तक चले जी-20 शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन रविवार को जो अंतिम बयान जारी किया गया है, उसे ब्रिटेन के ग्लास्गो में शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन की भूमिका के रूप में देखा जा रहा है। जी-20 के शिखर सम्मेलन के आखिरी सत्र में ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा हुई। जी-20 के नेताओं के बीच इस बात को लेकर सहमति बनी है कि दूसरे देशों को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के लिए इस साल के बाद वित्तीय मदद नहीं दी जाएगी, लेकिन घरेलू स्तर पर कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को बंद करने की कोई समय सीमा नहीं तय की गई है। चीन और भारत के लिए यह झटका है, क्योंकि इन दोनों देशों में ज्यादातर बिजली उत्पादन करने वाले संयंत्र ईंधन के रूप में कोयले का ही इस्तेमाल करते हैं। ब्रिटेन के लिए भी एक तरह से यह झटका है, क्योंकि वह ग्लास्गो सम्मेलन से पहले इस संबंध में ठोस संकल्प चाहता था।
जी-20 के सदस्य देश दुनिया की 80 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं। मेजबान देश इटली के प्रधानमंत्री मारियो द्राघी ने नेताओं से अनुरोध किया था कि ग्रीनहाउस गैसों की कटौती के लिए उन्हें दीर्घकालिक लक्ष्य तय करने होंगे और त्वरित बदलाव करने होंगे। उन्होंने कहा था कि कोयला पर निर्भरता कम करने और अक्षय ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने के लिए तेजी से काम करना होगा। साथ ही घोषणापत्र में कहा गया है कि भारत समेत जी20 देश 2030 तक जैवविविधता ह्रास को रोकने और क्षतिपूर्ति की कार्रवाइयों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अनुसार ये देश जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए तथा ग्लासगो में हो रहे कॉप-26 सम्मेलन को सफल बनाने के लिए काम करने को प्रतिबद्ध हैं। महामारी के लिए आम प्रतिक्रिया को मजबूत करने तथा सबसे संवेदनशील लोगों पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक सुधार का मार्ग प्रशस्त करने पर सहमति जताते हुए घोषणापत्र में कहा गया कि महामारी के खिलाफ सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधनों में टीके शामिल हैं और व्यापक कोविड-19 टीकाकरण वैश्विक रूप से जनता की भलाई के लिए है। जी-20 नेताओं ने 2021 के अंत तक कम से कम 40% तथा 2022 के मध्य तक 70% आबादी के टीकाकरण के वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों पर सहमति जताई। उन्होंने घोषणा में कहा कि सदस्य देश सभी के लिए खाद्य सुरक्षा और पर्याप्त पोषण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें कोई नहीं छूटे। जी-20 देशों ने यह घोषणा भी की कि वे सुरक्षित और क्रमबद्ध तरीके से अंतरराष्ट्रीय यात्रा फिर से शुरू करने के लिए प्रयास करने पर सहमत हुए हैं।

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