पेरिस।
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के बीच हुआ ऑकस सुरक्षा समझौता को लेकर मित्र राष्ट्रों में ऐतिहासिक फूट पड़ गई है। इस समझौते से फ्रांस को आर्थिक झटका लगा है। इससे नाराज फ्रांस ने सख्त रुख अपनाते हुए अपने सबसे पुराने सहयोगी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूत को वापस बुला लिया है। 18वीं सदी की क्रांति के दौरान बने संबंधों में ऐतिहासिक दरार पड़ती नजर आ रही है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के बीच नए समझौते ऑकस के कारण फ्रांस को 66 अरब डॉलर का आर्थिक झटका लगा है, इससे फ्रांस नाराज है। फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां इव लि द्रीयां ने कहा कि यह वास्तव में पीठ में एक छुरा घोंपना है। हमने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ भरोसे का रिश्ता बनाया और इस भरोसे को तोड़ा गया। सहयोगियों के बीच ऐसा नहीं किया जाता। वहीं अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता एमिली होर्न ने कहा कि जो बाइडन प्रशासन एतिने को पेरिस वापस बुलाने के फैसले को लेकर फ्रांसिसी अधिकारियों के करीबी संपर्क में है। हम उनकी स्थिति समझते हैं और हम अपने मतभेदों को दूर करने के लिए आने वाले दिनों में काम करते रहेंगे।
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां इव लि द्रीयां ने कहा है कि स्थिति की असाधारण गंभीरता को देखते हुए यह असाधारण फैसला उचित है। मित्र राष्ट्रों के बीच राजदूतों को वापस बुलाना बेहद असामान्य है और यह पहली बार है जब अमेरिका से राजदूत को वापस बुलाया है। द्रीयां ने एक लिखित बयान में कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के अनुरोध पर यह फैसला लिया गया। अमेरिका में फ्रांस के राजदूत फिलिप एतिने ने ट्वीट किया कि इन घोषणाओं का हमारे गठबंधनों, हमारी साझेदारियों और यूरोप के लिए हिंद-प्रशांत की महत्ता की हमारी दूरदृष्टि पर प्रत्यक्ष असर पड़ रहा है। वहीं ऑस्ट्रेलिया में फ्रांस के राजदूत ज्यां पियरे थेबॉल्त ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने कभी यह जिक्र नहीं किया था कि यह परियोजना रद्द की जा सकती है। वहीं मैक्रों ने अभी राजदूत को वापस बुलाने के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं की है। चार साल के उनके कार्यकाल में यह विदेश नीति का सबसे साहसी कदम बताया जा रहा है। इससे पहले शुक्रवार को फ्रांस के एक शीर्ष राजनयिक ने गोपनीयता की शर्त पर बताया था कि मैक्रों को ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन से बुधवार सुबह एक पत्र मिला जिसमें पनडुब्बी समझौते को रद्द करने के फैसले की घोषणा की गयी है। फ्रांसीसी अधिकारियों ने तब अमेरिकी प्रशासन से यह पूछने के लिए संपर्क किया था कि क्या चल रहा है। उन्होंने बताया कि बाइडन के घोषणा करने से महज दो से तीन घंटे पहले ही वाशिंगटन के साथ बातचीत की गयी। लि द्रीयां ने गुरुवार को बताया कि उन्हें फैसले के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया तथा अमेरिका दोनों की आलोचना की।