नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। कस्तूरीरंगन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा दुख जताया है।
इसरो के पूर्व प्रमुख महत्वाकांक्षी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को तैयार करने वाली मसौदा समिति के अध्यक्ष थे। उनके दो बेटे हैं। पिछले कुछ महीनों से वह बीमार थे। अधिकारियों ने बताया कि अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को 27 अप्रैल को रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) में रखा जाएगा। उन्होंने राज्यसभा सदस्य (2003 से 2009 तक) और भारत के तत्कालीन योजना आयोग के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दी थीं। उनके अनुकरणीय कार्य के लिए उन्हें वर्ष 2000 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले डॉ. के. कस्तूरीरंगन हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य हम सभी के लिए अनुकरणीय रहेंगे। जब भी अंतरिक्ष जगत की चर्चा होगी तो उनका नाम सबसे पहले लिया जाएगा। कस्तूरीरंगन ने 27 अगस्त, 2003 को अपना पद त्यागने से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख, अंतरिक्ष आयोग के प्रमुख और अंतरिक्ष विभाग में भारत सरकार के सचिव के रूप में नौ साल से अधिक समय तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को शानदार तरीके से आगे बढ़ाया। वे भारत के पहले दो प्रायोगिक उपग्रहों भास्कर-I और II के परियोजना निदेशक थे। उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का सफल प्रक्षेपण और संचालन कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश को पहचान दिलाई। इसके अलावा जीएसएलवी की पहली सफल उड़ान परीक्षण का भी श्रेय उन्हें ही जाता है। कस्तूरीरंगन ने ब्रह्मांडीय एक्स-रे और गामा-रे स्रोतों के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि ज्ञान के प्रति अपने जुनून के साथ उन्होंने विविध क्षेत्रों में काफी योगदान दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने में सहायता की जो अगली पीढ़ी को आकार देने का काम कर रही है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत की वैज्ञानिक और शैक्षिक यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ. के. कस्तूरीरंगन के निधन से मुझे गहरा दुख हुआ है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। कस्तूरीरंगन ने इसरो में बहुत लगन से काम किया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनकी वजह से अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली।
