कानपुर। चंबल के बीहड़ में 18 साल तक राज करने वाली दस्यु सुंदरी सीमा परिहार समेत चार को अपहरण के एक मामले में कोर्ट ने चार साल की सजा सुनाई है। 30 साल पुराने इस मामले में सभी दोषियों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
19 मार्च 1994 को गढ़िया बक्शी निवासी श्रीकृष्ण त्रिपाठी ने रिपोर्ट लिखाई थी कि उसका भाई प्रमोद त्रिपाठी ट्यूबवेल पर बने कमरे में लेटा हुआ था। रात 12:30 बजे 10 से 15 बदमाश आए और दरवाजा खुलवाकर प्रमोद को पकड़कर अजनपुर गांव की तरफ चले गए। बाद में गिरोह की पहचान डकैत लालाराम व सीमा परिहार के रूप में हुई। पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज किया। बाद में अपह्त गिरोह के चंगुल से छूटकर घर आ गया। पहले केस इटावा में चला, बाद में औरैया जिला बनने पर यहां ट्रांसफर हो गया। दस्यु सरगना लालाराम की मौत हो चुकी है। सीमा परिहार निवासी बबाइन अयाना, रामकिशन निवासी नवलपुर अयाना, छोटे सिंह निवासी शेखपुर अयाना व अनुरुद्ध निवासी सुंदरपुर के खिलाफ विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र अधिनियम औरैया सुनील सिंह के समक्ष केस चला। एडीजे सुनील सिंह ने चारों अभियुक्तों को दोषी करार दिया। बुधवार को सीमा परिहार समेत चारों को कोर्ट में पेश किया। जज ने चार-चार साल की सजा सुनाई। अभियोजन की ओर से डीजीसी अभिषेक मिश्रा व एडीजीसी मुकेश पोरवाल ने बताया कि चारों को इटावा जेल भेज दिया गया। गौरतलब है कि सीमा परिहार का जन्म 1970 के औरैया में गरीब परिवार में हुआ था। उन दिनों इस क्षेत्र में डाकुओं का आतंक था। यहीं से कुछ दूर चंबल और यमुना नदी के किनारे स्थित बीहड़ ही डकैतों का मुख्य ठिकाना था। साल 1983 में सीमा के गांव में डाकुओं ने धावा बोला और दस्यु सरगना लालाराम सीमा को 13 साल की उम्र में अपने साथ लेकर चला गया। जो बच्ची अपने गांव में रहती थी वह अब खूंखार डकैतों के बीच रहने लगी। धीरे-धीरे वह खुद चंबल की दस्यु सुंदरी बन गई।