नई दिल्ली।
पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रतीक पाटिल ने कांग्रेस के साथ अपने संबंध तोड़ने का ऐलान कर दिया। प्रतीक के इस कदम से कांग्रेस को एक और झटका लगा है। दिवंगत मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के प्रतीक पाटिल पोते हैं। हालांकि कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रतीक ने अभी अपने भविष्य की योजनाओं का ऐलान नहीं किया।
साल 2014 तक कांग्रेस का गढ़ रही सांगली सीट को संयुक्त प्रगतिशील महागठबंधन में सीट बंटवारे के समझौते के तहत राजू शेट्टी के स्वाभिमान शेतकारी पक्ष को देने का फैसला किया गया है। इस गठबंधन में कांग्रेस, राकांपा और अन्य घटक शामिल हैं। पूर्व कोयला राज्य मंत्री कहै कि मौजूदा माहौल में, मैं कांग्रेस के साथ नहीं रह सकता। कुछ लोग दिवंगत वसंतदादा पाटिल की विरासत को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। यह तंज राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे और राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और कांग्रेस विधायक विश्वजीत कदम पर था। ये दोनों ही सांगली से आते हैं। पश्चिम महाराष्ट्र में पड़ने वाले सांगली में कांग्रेस का किला बीते आम चुनाव में तब ढह गया था जब पार्टी के उम्मीदवार प्रतीक पाटिल भाजपा के संजय काका पाटिल से हार गए थे। यह 1962 के बाद कांग्रेस की पहली हार थी।