लखनऊ। राजेंद्र तिवारी
थाना जगदीशपुरा के मालखाने से 25 लाख की चोरी के मामले में हिरासत में लिए गए युवक की मंगलवार रात मौत हो गई। पुलिस उससे चोरी रकम की बरामदगी के प्रयास में लगी थी। पुलिस उसको अस्पताल लेकर पहुंची, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। घटना से हड़कंप मच गया। सूबे की सियासत गरमा गयी। विपक्षी दलों के नेताओं के ट्वीट से शासन-प्रशासन हरकत में आ गया। पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। हत्या का मुकदमा भी दर्ज किया गया। शासन ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में मृतक का अंतिम संस्कार करवाया गया।
एसएसपी मुनिराज जी के अनुसार, पुलिस टीम सुबह चार बजे थाने के मालखाने से चोरी रकम की बरामदगी के लिए अरुण वाल्मीकि को उसके घर लेकर गई थी। वहां उसकी तबियत खराब हो गई। परिजनों के साथ पुलिस अरुण को जीवन ज्योति नर्सिंग होम लेकर गई। जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। हिरासत में मौत से हड़बड़ाये अफसरों ने माहौल गर्माने की आशंका पर कई इलाकों में पुलिस-पीएसी तैनात कर दी। मंडल के कई जिलों से फोर्स बुला लिया गया। परिजनों की तहरीर पर अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। दवाब बढ़ा तो दोपहर बाद इंस्पेक्टर क्रिमनल इंटेलीजेंस आनंद साही सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया गया। शासन से वार्ता के बाद डीएम पीएन सिंह ने पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नगर निगम में सरकारी नौकरी और दस लाख रुपये मुआवजा की घोषणा की। जगदीशपुरा थाने की जीडी में इंस्पेक्टर क्रिमनल इंटेलीजेंस आनंद कुमार साही, एसआई योगेंद्र कुमार, आरक्षी महेंद्र सत्यम और रूपेश की रवानगी की गई थी। दिखाया गया था कि ये पांचों सफाई कर्मचारी को लेकर उसके घर गए थे। प्रारंभिक तथ्यों के आधार इनको निलंबित किया गया है। हालांकि अधिकारियों ने अभी ये नहीं माना है कि इन पांचों के पिटाई करने से सफाई कर्मचारी की मौत हुई थी। अधिकारियों का कहना है कि पीएम रिपोर्ट देखने के बाद फैसला किया जाएगा।