मॉस्को। क्रीमिया को रूस से अलग करने वाले केर्च जलसंधि में दो पोतों में आग लगने के बाद 20 लोगों की मौत हो गई। इन दोनों पोतों पर भारती, तुर्की और लीबिया के कुल 32 चालक दल के सदस्य सवार थे।
रूसी अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि रूस की जलसीमा के पास कैंडी और माइस्त्रो नाम के दोनों पोतों में सोमवार को आग लगी। इन पर तंजानिया का झंडा लहरा रहा था। इनमें से एक पोत एलपीजी (द्रवीकृत प्राकृतिक गैस), तो दूसरा एक टैंकर लेकर जा रहा था। हादसा उस वक्त हुआ जब इनमें से एक पोत दूसरे को ईंधन दे रहा था। रूसी अधिकारियों ने बताया कि दोनों पोतों में कुल 32 चालक दल के सदस्य सवार थे, जिनमें से 15 भारतीय हैं। रूसी राहत दल ने 12 लोगों को बचाल लिया है। अधिकारियों ने बताया कि आग लगने के बाद चालक दल के सदस्यों ने जान बचाने के लिए काले सागर में छलांग लगा दी थी। इसके बावजूद 20 लोग अंदर फंसे रह गए। राहत दल का मानना है कि शेष 20 लोग मर चुके हैं। इनमें से 10 के शव पोत से बाहर निकाल लिए गए हैं। हालांकि अभी यह नहीं स्पष्ट किया गया है कि मरने वालों में किस देश के कितने लोग शामिल हैं। गौरतलब है कि अमेरिका द्वारा सीरिया पर 2016 से 2018 तक पेट्रोलियम पदार्थ लाने ले जाने पर लगे प्रतिबंध के तहत यह दोनों पोत खास निशाने पर थे।
दोनों पोतों में कुल 15 भारतीय सवार थे। कैंडी में चालक दल के 17 सदस्य सवार थे जिनमें भारत के आठ भारतीय, नौ तुर्की थे। जबकि माइस्ट्रो नाम के पोत में कुल 15 चालक दल सदस्य थे, इनमें भारत और तुर्की के सात सात व लीबिया का एक नागरिक था। रूसी अधिकारियों के मुताबिक मंगलवार तक आग पर काबू नहीं पाया गया था। भारी मात्रा में ईंधन मौजूद होने के कारण कई घंटों से आग लगी हुई है। इसी कारण से अंदर फंसे लोगों की मौत की बात को बल मिलता है। यूक्रेन ने इस हादसे के लिए रूस को जिम्मेदार बताया है। यूक्रेन सरकार ने कहा कि हादसे के वक्त पोतों में लगा एआईएस निगरानी उपकरण बंद था। यूक्रेन का दावा है कि रूस इन पोतों को यूक्रेन की नजर से छिपाने के लिए अक्सर निगरानी उपकरणों को बंद करवा देता है। यूक्रेन ने कहा कि इस बार यह कदम महंगा पड़ गया और एक विभत्स हादसे का कारण बना जिसमें 20 लोग मारे गए। अगर उपकरण चालू होता तो इन लोगों को बचाया जा सकता था।