लखनऊ। राजेंद्र तिवारी
उत्तर प्रदेश मजदूरी संहिता नियमावली-2021 को राज्य मंत्रिपरिषद ने बुधवार को मंजूरी दे दी। इसके तहत श्रमिकों के जीवन स्तर को ध्यान में रखते हुए दैनिक आधार पर न्यूनतम मजदूरी नियत की जाएगी। मजदूरी की न्यूनतम दर नियत करते समय राज्य सरकार संबंधित भौगोलिक क्षेत्र को तीन वर्गों मेट्रोपोलिटन, गैर मेट्रोपोलिटन और ग्रामीण क्षेत्र में विभाजित करेगी। वहीं सोनभद्र समेत 12 जिलों में एटीएस यूनिट स्थापित होगी।
प्रदेश सरकार ने देवबंद (सहारनपुर) के बाद मऊ जिले में भी एटीएस की फील्ड इकाई बनाने का फैसला किया है। कैबिनेट ने बुधवार को निर्माण कार्यों के उद्देश्य से भूमि आवंटन के प्रस्ताव को मंजूरी देकर एटीएस के लिए अवस्थापना सुविधाओं का रास्ता साफ कर दिया। कैबिनेट ने मऊ में एटीएस के अधिकारी, स्टाफ कार्यालय एवं फील्ड इकाई की स्थापना के लिए भवन तथा एटीएस कमाण्डो के बैरक के लिए भूमि का आवंटन किया है। प्रदेश सरकार ने सहारनपुर के देवबंद समेत प्रदेश के 12 जिलों मेरठ, अलीगढ़, श्रावस्ती, बहराइच, गौतमबुद्धनगर, आजमगढ़, कानपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, वाराणसी व झांसी में एटीएस यूनिट की स्थापना करने का फैसला लिया था। इनमें से कुछ जिलों में कमाण्डो ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किया जाएगा। उधर मजदूरी को लेकर कैबिनेट ने सरकार कौशल वर्गीकरण के संबंध में केंद्र को सलाह देने के लिए श्रमायुक्त की अध्यक्षता में एक तकनीकी समिति गठित करेगी। इस समिति की सलाह पर कर्मचारियों के काम को चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। इसमें अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल और अति कुशल श्रेणी शामिल है। न्यूनतम मजदूरी पर कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते का भुगतान प्रत्येक वर्ष एक अप्रैल से पहले और एक अक्तूबर से पहले दिए जाएंगे। किसी भी कर्मचारी के विश्राम अंतरालों को मिलाकर काम के घंटे 12 घंटे से अधिक नहीं होंगे। नियोजक को हर कर्मचारी को सप्ताह में एक दिन का विश्राम देना होगा। इस नियमावली के तहत राज्य सरकार एक राज्य सलाहकार बोर्ड का भी गठन करेगी। इसमें राज्य सरकार द्वारा नामित अध्यक्ष, विधानमंडल के सदस्य, मजदूरी एवं श्रम संबंधी मामले में विशेषज्ञता रखने वाले सदस्य, औद्योगिक न्यायाधिकरण का पीठासीन अधिकारी सहित श्रम एवं सेवायोजन विभाग के अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव शामिल होंगे। बोर्ड का कार्यकाल तीन साल होगा।