ढाका। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने सोमवार को कहा कि देश में अगला आम चुनाव 2025 के अंत या 2026 की पहली छमाही में हो सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि चुनाव का समय काफी हद तक राजनीतिक आम सहमति और उससे पहले किए जाने वाले सुधारों की सीमा पर निर्भर करेगा। उन्होंने विजय दिवस पर राष्ट्र के नाम टीवी पर दिए भाषण में कहा, मोटे तौर पर, चुनाव 2025 के अंत और 2026 की पहली छमाही के बीच निर्धारित किए जा सकते हैं। यूनुस ने कहा कि उन्होंने बार-बार सभी से सभी प्रमुख सुधारों को पूरा करने के बाद चुनाव कराने की अपील की है। यूनाइटेड न्यूज ऑफ बांग्लादेश ने यूनुस के हवाले से कहा कि अगर राजनीतिक सहमति के कारण हमें मतदाता सूची में मामूली सुधारों के साथ चुनाव कराना है, तो 2025 के अंत तक चुनाव कराना संभव हो सकता है। और अगर हम चुनाव प्रक्रिया में अपेक्षित स्तर के सुधारों और चुनाव सुधार आयोग की सिफारिशों के आलोक में और राष्ट्रीय सहमति जोड़ दें, तो इसमें कम से कम छह महीने और लग सकते हैं। छात्रों के विद्रोह के बाद 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार को हटाने के बाद स्थापित कार्यवाहक सरकार का नेतृत्व करने वाले यूनुस ने मतदाता सूची को अपडेट करने को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अब से, भविष्य की सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू करने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है। उन्होंने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। उनके पास करने के लिए बहुत काम है। यूनुस ने कहा कि किसी को भी मतदाता सूची को सत्यापित करने का अवसर नहीं मिला है। हमें यह सुनिश्चित करना है कि पिछले 15 वर्षों में जो लोग वोट देने के पात्र बने हैं, उन सभी के नाम मतदाता सूची में शामिल हों। यह एक बड़ा काम है। उन्होंने कहा कि छात्र विद्रोह के बाद अब कोई गलती करने की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि लंबे समय के बाद कई युवा पहली बार वोट देंगे। उन्होंने कहा कि अतीत में उन्हें इस अधिकार और खुशी से वंचित रखा गया था। बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने देश को 1971 में मिली आजादी के 54 साल पूरे होने के अवसर पर कहा कि यह विजय दिवस और अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल दुनिया की सबसे खराब निरंकुश सरकार सत्ता से बाहर हो गई। यूनुस ने भाषण में कहा,मैं उन लाखों शहीदों को याद करता हूं जिनमें असंख्य बच्चे, किशोर, युवा और बुजुर्ग शामिल हैं, जिनके बलिदान के कारण ही हमें आजादी मिल पाई। उन्होंने कहा, दुनिया की सबसे खराब निरंकुश सरकार (हसीना की अवामी लीग सरकार) को हटाने और व्यापक जनांदोलन के कारण उन्हें देश से भागने पर मजबूर करने से इस साल का विजय दिवस और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। उनके संबोधन में 1971 के राजनीतिक नेतृत्व और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता और बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान का कोई जिक्र नहीं था। यूनुस और बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने मुक्ति संग्राम में शहीद हुए जवानों को और राजधानी के बाहरी इलाके सावर स्थित राष्ट्रीय स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। पूर्वी तिमोर के राष्ट्रपति जोस रामोस-होर्ता शीर्ष विदेशी गणमान्य व्यक्ति के रूप में समारोह में मौजूद थे। बांग्लादेश में स्वतंत्रता के बाद से चली आ रही परंपरा से हटकर इस बार राजधानी ढाका में विजय दिवस परेड का आयोजन नहीं किया गया। मुक्ति संग्राम मामलों के सलाहकार फारूक-ए-आजम ने इस बारे में बताया कि सशस्त्र बलों की व्यस्तता के कारण इस बार परेड का आयोजन नहीं किया गया। साल 1971 के भारत और पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था, इसलिए दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तानी सेना पर भारतीय सेना की जीत से ही बांग्लादेश अस्तित्व में आया था।