नई दिल्ली। नीलू सिंह
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की हैकिंग के दावों और कई दलों की ओर से मतपत्र से चुनाव कराने की मांग के बीच चुनाव आयोग ने अपना रुख साफ किया है। आयोग ने गुरुवार को दो टूक कहा कि वह मतपत्र के दौर में नहीं लौटेगा। न ही किसी धमकी व दबाव में आएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी)सुनील आरोड़ा ने आयोग द्वारा ‘चुनाव प्रक्रिया को समावेशी एवं सहज बनाने के विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम मतपत्र के दौर में वापस लौटने नहीं जा रहे हैं। ईवीएम को तकनीकी गड़बड़ियों से बचाने के लिए किए गए उपायों का जिक्र करते हुए अरोड़ा ने कहा,इस मशीन को सार्वजनिक क्षेत्र की उन दो कंपनियों ने बेहद पुख्ता तकनीकी सुरक्षा उपायों से लैस करते हुए बनाया है, जो हमारे देश के रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए बहुत उल्लेखनीय काम कर रही हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वालों और मतपत्र की मांग करने वाले दलों का नाम लिए बिना कहा, हम इसे (ईवीएम) फुटबॉल क्यों बना रहे हैं? इस पर छींटाकशी क्यों कर रहे हैं? अरोड़ा ने कहा कि सम्मेलन में मौजूद लोग इस आरोप-प्रत्यारोप के सही या गलत होने पर फैसला करेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, इसलिए एक बार फिर मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह सिर्फ मेरा ही नहीं बल्कि समूचे चुनाव आयोग का मत है कि हम मतपत्र के दौर में वापस लौटने नहीं जा रहे हैं। हम ईवीएम और वीवीपैट का इस्तेमाल करना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा, आयोग राजनीतिक दल सहित सभी पक्षकारों की ओर से होने वाली आलोचनाओं और प्रतिक्रियाओं का खुले मन से स्वागत करता है। लेकिन इसके साथ ही आयोग किसी भी धमकी और दबाव में नहीं आएगा। अरोड़ा ने ईवीएम के सफल प्रयोग के दो दशक के इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी विफलता और गड़बड़ियों के परीक्षण से सीखने का दौर भी बीत गया है। उन्होंने कहा कि यद्यपि सीखने का समय कभी पूरा नहीं होता है, इसलिए ईवीएम को परिपक्व और चूकरहित बनाने के लिये आयोग हर बेहतर बात सीखने के लिये सदैव तत्पर है।
अरोड़ा ने कहा कि उस दौर में वापस नहीं लौटा जा सकता है जबकि मतपत्र बाहुबलियों द्वारा लूट लिए जाते थे। मतगणना में देर होती थी और मतदान कर्मियों का उत्पीड़न भी होता था। इसलिए मौजूदा व्यवस्था ही कायम रहेगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठते सवालों को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। उन्होंने कहा, 2014 के लोकसभा चुनाव में जो परिणाम आया था, उसके कुछ महीने बाद हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिल्कुल भिन्न चुनाव परिणाम आया। अन्य राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव एवं उपचुनाव भी अलग-अलग नतीजे देखने को मिले। ऐसे में सहज सवाल उठता है कि किसी एक दल के पक्ष में परिणाम आने पर ईवीएम सही और विपरीत परिणाम आने पर गलत कैसे हो सकती है। ईवीएम में गड़बड़ी के बारे में अरोड़ा ने कहा कि हाल ही में पांच राज्यों के चुनाव के दौरान कुल 1.76 लाख मतदान केंद्रों से सिर्फ छह शिकायतें मिली थीं। ये शिकायतें भी ईवीएम में छेड़छाड़ या गड़बड़ी की नहीं बल्कि इस्तेमाल में ही नहीं लाई गई ईवीएम के रखरखाव में खामी की थीं।
.