बरेली। बरेली डकैती और तिहरे हत्याकांड में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने छैमार गैंग की दो महिलाओं समेत आठ दोषियों को फांसी की सजा सुनाई। वहीं गैंग से जेवरात खरीदने वाले सर्राफ को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। कोर्ट ने छैमार गैंग के आठ दोषियों को मृत्यु तक फांसी के फंदे पर लटकाने का आदेश दिया है। उन पर कुल 13.80 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
डीजीसी क्राइम सुनीति कुमार पाठक और एडीजीसी क्राइम दिगंबर पटेल ने बताया कि सुरेश शर्मा नगर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर योगेश मिश्रा, अपनी पत्नी प्रिया और मां पुष्पा देवी के साथ रहते थे। 23 अप्रैल 2014 को तीनों के शव कोठी के अंदर पड़े मिले। बेरहमी से सिर और चेहरा कुचलकर उनकी हत्या की गई थी। कोठी से नकदी, जेवरात और कीमती कपड़े समेत तमाम सामान गायब थे। योगेश के भाई आयकर विभाग में इंस्पेक्टर रविकांत मिश्रा ने थाना बारादरी में इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। विवेचना के दौरान बारादरी पुलिस को जानकारी मिली कि छैमार गैंग की महिलाएं घरों में भीख मांगने के नाम पर रेकी करती हैं। इसी गैंग की महिलाओं ने योगेश मिश्रा की कोठी की रेकी कर अपने साथियों के साथ वारदात को अंजाम दिया। बारादरी पुलिस ने छह मई 2014 को बिथरी में उमरिया डेरे से वाजिद, नाजिमा और हाशिमा को गिरफ्तार कर तिहरे हत्याकांड का खुलासा कर दिया। सात मई 2014 को पुलिस ने इस गैंग से जेवरात खरीदने वाले सदर कैंट के सर्राफ राजू वर्मा को गिरफ्तार किया। इसके बाद उमरिया डेरा के हसीन और यासीन को पकड़ा गया। आठ जुलाई 2014 को समीर उर्फ साहिब उर्फ नफीस को पुलिस ने पकड़ा। इसके बाद जुल्काम और फईम उर्फ शंकर को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया गया। सभी आरोपियों के कब्जे से योगेश मिश्रा के घर से लूटे गए जेवरात समेत अन्य सामान बरामद हुए थे। सुरेश शर्मा नगर के इस चर्चित तिहरे हत्याकांड की सुनवाई फास्ट ट्रैक प्रथम रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में हुई। आरोप साबित करने को एडीजीसी क्राइम दिगंबर पटेल ने दस गवाह पेश किए। साथ ही आरोपियों से बरामद घटना में प्रयुक्त आलाकत्ल, जेवरात, कपड़े आदि अदालत में पेश किए। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर कोर्ट ने चार मार्च को आरोपी वाजिद, हसीन, यासीन, नाजिमा, हाशिमा, समीर उर्फ साहिब उर्फ नफीस, जुल्काम, फईम उर्फ शंकर और सर्राफ राजू वर्मा को दोषी मानते हुए सजा निर्धारण को सात मार्च की तारीख नियत की थी। गुरुवार को चर्चित तिहरे हत्याकांड में सजा निर्धारण पर सुनवाई हुई। डीजीसी क्राइम सुनीति कुमार पाठक और एडीजीसी क्राइम दिगंबर पटेल ने दोषी छैमार गैंग को फांसी की सजा देने को दलीलें पेश कीं। वही, गैंग के सदस्यों के अधिवक्ताओं ने कम से कम सजा देने की गुहार की थी। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनकर फास्ट ट्रैक प्रथम के जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने छैमार गैंग के दो महिलाओं समेत आठ सदस्यों को फांसी की सजा और प्रत्येक पर 1.10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। गैंग से जेवरात खरीदने वाले सर्राफ राजू वर्मा को आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई। कोर्ट ने जुर्माना की पूरी रकम रिपोर्ट दर्ज कराने वाले रविकांत मिश्रा को देने के आदेश दिए हैं।