न्यूयॉर्क। पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव अपनी जगह बदल रहा है। 1830 के दशक से अब तक यह अपनी जगह से 2250 किलोमीटर तक खिसक चुका। पिछले कुछ दशकों की अवधि में इसकी रफ्तार बढ़ गई है।
पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रुव जगह बदलता जा रहा। यह पूर्व की ओर खिसक रहा है। पहले उत्तरी कनाडा से यह आर्कटिक आया और अब यह पहले की तुलना में तेज रफ्तार से रूस की ओर जा रहा। इस बदलाव का असर हमारे स्मार्टफोन पर भी हो सकता है। चुंबकीय उत्तरी ध्रुव कंपास का भी काम करता है। भू-चुंबकीय क्षेत्र मनुष्यों, पक्षियों और समुद्री जीवों के लिए नेविगेशन को सक्षम बनाता है। इसकी मदद से हम लंबी दूरी तय कर पाते हैं, लेकिन उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के साथ पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र स्थिर नहीं है। 2020 में हुए एक अध्ययन के अनुसार, 1990 से 2005 के बीच ध्रुव के घूमने की गति एक साल में 15 किलोमीटर से बदलकर एक साल में 50-60 किलोमीटर हो गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले एक दशक में यह साइबेरिया की ओर 660 किलोमीटर तक पहुंच जाएगा। हमारी पृथ्वी के केंद्र के बाहरी परत में पिघले लोहे का विशाल भंडार है। जब धरती घूमती है और सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है तो यह लोहा भी घूमता है। इससे चुंबकीय क्षेत्र बनता है। ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे के लिए ग्लोबल जियो मैग्नेटिक फील्ड मॉडलर डॉक्टर विलियम ब्राउन ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि सदियों तक उत्तरी कनाडा में यह चुंबकीय ध्रुव रहा। इसके बाद 1990 के दशक में यह रूस की ओर खिसक रहा। 2020 के अध्ययन के अनुसार, पृथ्वी के आंतरिक हिस्से में बहाव के पैटर्न में बदलाव 1979 और 1999 के बीच हुआ।