फ्लोरिडा। फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध के बाद दावा किया है कि फिल्म देखते समय रोना गंभीर बीमारी का लक्ष्ण है।
फिल्में देखते समय आंसू बहाने वाले भावुक लोगों की कम उम्र में मौत हो सकती है। ऐसा एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है। अध्ययन में बताया गया कि भावनाओं से जुड़ी बीमारी ‘न्यूरोटिसिज्म’ से पीड़ित लोगों में इस तरह के व्यवहारिक पैटर्न देखे गए और ऐसे 10 फीसदी लोगों की समय से पहले मौत हो सकती है। फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में किए गए एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों को पता चला कि जो लोग फिल्में देखने के दौरान भावुक होकर रोने लगते हैं या किसी सामान्य हालात में भी नकारात्मक भावनाओं से घिर जाते हैं, उनपर मौत का खतरा अधिक है। जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, न्यूरोटिसिज्म और मौत के जोखिम के बीच लिंक का पता चला है। यूके बायोबैंक से करीब पांच लाख प्रतिभागियों का आंकड़ा लिया गया। इसके विश्लेषण में पता चला कि न्यूरोटिसिज्म का उच्चतम स्तर जिन लोगों में मौजूद है उनमें विभिन्न कारणों से मौत का अधिकतम जोखिम है। न्यूरोटिसिज्म में शामिल अकेलेपन की भावना से भी जल्दी मौत की आशंका जताई गई है। शोध में बताया गया है कि न्यूरोटिसिज्म से पीड़ित लोगों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर असर होता है। इसका दूसरा पहलू मिजाज का तुरंत बदलना जिसे मूड स्विंग भी कहते हैं या निराश अनुभव करना भी है, जो मौत के खतरे को बढ़ाने का कारक बन सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस खतरे की जद में अधिकर पुरुष ही आते हैं क्योंकि महिलाओं के पास व्यस्त रहने को बच्चे समेत कई कारण होते हैं। 2006 से 2010 के बीच यूके बायोबैंक में जिन पांच लाख लोगों के न्यूरोटिसिज्म का आकलन किया गया, उनके आंकड़े को अध्ययन के लिए लिया गया। इनके जीवन के 17 सालों की अवधि का वैज्ञानिकों ने जांच की। इस दौरान पांच लाख में से 43,400 लोगों की मौत हो गई जो कुल प्रतिभागियों का 8.8 फीसदी था। इसमें से 291 लोगों ने जानबूझकर जान दी। वैज्ञानिकों के अनुसार, अभी औसत आयु 70 वर्ष है। अध्ययन के वरिष्ठ लेखक एंटोनियो टेर्रासियानो ने कहा, ‘यह हैरानी की बात है कि न्यूरोटिसिजम के अंतर्गत आने वाली अन्य नकारात्मक भावनाओं की तुलना में अकेलापन का असर ज्यादा देखा गया।’ उन्होंने आगे बताया कि अध्ययन के नतीजे से पता चलता है कि जो अकेले रहते हैं या अकेलापन को महसूस कर रहे हैं उनपर मौत का जोखिम अन्य भावनाओं की तुलना में सबसे ज्यादा है।