नई दिल्ली| नीलू सिंह
कलाश्निकोव रायफल का जल्द ही भारत में निर्माण शुरू होगा। सरकार ने इस संबंध में रूस के साथ एक संयुक्त उपक्रम को हरी झंडी दे दी है, जिसके तहत कोरवा स्थित आयुध कारखाने में लगभग 7.5 लाख असॉल्ट रायफल बनाई जाएंगी। कोरवा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है।
सूत्रों के अनुसार, 7.62×39 मिलीमीटर कैलिबर वाली एके-203 बंदूकों के निर्माण के लिए 15 फरवरी को एक अंतर-सरकारी समझौता होने की संभावना है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 28 फरवरी को इस परियोजना का उद्घाटन कर सकते हैं। कलाश्निकोव, मशहूर एके-47 रायफल पर आधारित है। एक सूत्र ने बताया कि यह तय किया गया है कि सेना के एक सेवारत मेजर जनरल एके-203 रायफल परियोजना को कारगर तरीके से लागू करने के लिए कोरवा कारखाने का नेतृत्व करेंगे। अनुमानत: यह परियोजना 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की होगी। संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की तरह वर्तमान संयुक्त उपक्रम के तहत इस रायफल को दूसरे देशों को निर्यात करने की संभावनाओं की तलाश भी जाएगी। निर्यात उसी देश को किया जाएगा जिस पर भारत और रूस दोनों सहमत होंगे।
यह फैसला उस समय हुआ, जब सरकार ने रूस को बताया कि उसकी कंपनी कलाश्निकोव कंसर्न को सरकार-संचालित ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड (ओएफबी) के साथ गठजोड़ करना होगा। हालांकि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पहले अदानी ग्रुप के साथ एक संयुक्त उपक्रम का प्रस्ताव था। राफेल सौदे को लेकर विपक्षी कांग्रेस की ओर से लगातार लगाए जा रहे आरोपों के बीच सरकार निश्चित ही इस उपक्रम के मामले में एहतियात बरतेगी।
भारत ने मंगलवार को 72,400 नए 7.62×51 मिलीमीटर कैलिबर वाली असॉल्ट रायफलों की सीमित संख्या के लिए अमेरिकी कंपनी एसआईजी सउर के साथ त्वरित प्राप्ति (एफटीपी) माध्यम के तहत 647 करोड़ रुपये का अनुबंध किया। ये रायफल चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर तैनात अपने सीमावर्ती सैनिकों के लिए होंगी। एक अधिकारी ने बताया कि इन राइफलों की आपूर्ति एक साल के भीतर हो जाएगी।
यह 7.62×39 मिलीमीटर कैलिबर वाली एके-47 रायफल है, जिसका असल नाम एव्टोमैट कलाश्निकोव है। इसको सोवियत संघ (अब रूस) के मिखाइल कलाश्निकोव ने विकसित किया था।