नई दिल्ली।
राजस्थान में लोकसभा चुनाव उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस में अभी असमंजस बना हुआ है और उसका एक भी उम्मीदवार सामने नहीं आया है। जबकि भाजपा ने 25 में से 16 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं और नौ सीटों को लेकर घमासान मचा है।
कांग्रेस में विधायक एवं मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में उतारने को लेकर दो राय बनी हुई है। कांग्रेस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थित निर्दलीय विधायकों पर दाव खेलना चाहती हैं ताकि विधायक मंत्रियों के चुनाव जीतने के बाद सरकार पर बहुमत का खतरा नहीं आए। कांग्रेस पार्टी जोधपुर से मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत को उम्मीदवार बना सकती है। अन्य सीटों पर भी उम्मीदवारों को लेकर दो-तीन नाम चल रहे हैं, लेकिन इन पर फैसला मंगलवार को राहुल गांधी के जयपुर, बूंदी तथा सूरतगढ़ रैली के बाद किया जा सकता है।भाजपा ने आम चुनावों के लिए जारी अपनी पहली सूची में राजस्थान की 16 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया। पार्टी ने चुरू, बाड़मेर, अलवर, भरतपुर, करौली धौलपुर, राजसमंद, नागौर, दौसा और बासंवाड़ा के लिए नाम की घोषणा नहीं की। अलवर और दौसा के अलावा सात सीटों पर इस समय भाजपा के ही सांसद हैं। अलवर कांग्रेस के खाते में है जबकि दौसा के सांसद हरीश मीणा विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए और इस समय विधायक हैं। राजसमंद सीट पर भाजपा के मौजूदा सांसद हरिओम सिंह चुनाव नहीं लड़ना चाहते। स्थानीय मीडिया में यह भी खबरें हैं कि इस सीट पर प्रत्याशी को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाब चंद कटारिया तथा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे में सहमति नहीं है। पार्टी सूत्रों की मानें तो राज्य की 16 सीटों के लिए घोषित ज्यादातर प्रत्याशी वह हैं, जिनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह या संघ का सीधा संबंध रहा है। बीकानेर से सांसद और केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाते हैं। जयपुर से सांसद रामचरण बोहरा संघ पृष्ठभूमि के हैं। पार्टी ने स्थानीय स्तर पर विरोध को दरकिनार कर इन्हें उसी सीट पर बनाए रखा है।