नई दिल्ली, देव ।
जलवायु परिवर्तन घरेलू हिंसा का जरिया बनता जा रहा है। एक नए अध्ययन में दावा किया गया कि बाढ़, तूफान और भूस्खलन की घटनाओं से महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। शोधकर्ताओं ने बताया कि गंभीर जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देशों में यह हालात अगले दो साल में और भी बढ़ सकते हैं। अध्ययन ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वैज्ञानिकों ने किया है। इसमें दक्षिण अफ्रीकी मेडिकल रिसर्च काउंसिल और अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने भी सहयोग किया।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने वर्ष 1993 से 2019 के बीच कुल 156 देशों के सर्वेक्षण आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसमें 363 रिपोर्टों से महिलाओं के साथ हिंसा का डाटा जुटाया। इसमें देखा गया कि कैसे तूफान, भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं महिलाओं के साथ हिंसा की उच्च दर से जुड़ी हो सकती हैं। पीएलओएस क्लाइमेट में शोध के निष्कर्ष प्रकाशित हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के मुख्य लेखक जेनेवीव मैनेल ने कहा, पितृसत्तात्मक समाज वाले देशों में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि वहां पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा सामान्य व्यवहार के तौर पर स्वीकार किया जाता है। वहीं उच्च जीडीपी वाले देशों में हिंसा की दर में कमी पाई गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जलवायु से संबंधित आपदाओं के कारण परिवारों में तनाव और खाद्य असुरक्षा की स्थिति बढ़ती है। इस वजह से हिंसा के मामलों में वृद्धि हो सकती है। वहीं हिंसा से निपटने के लिए पुलिस, अदालत या सामाजिक संस्थाओं की भी मदद नहीं ली जाती है। इसे पिछले अध्ययनों में पाया गया था कि बढ़ती गर्मी और आर्द्रता व्यवहार को आक्रामक बनाती है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान 190 देशों के वर्ष 1920 से लेकर 2022 तक जलवायु परिवर्तन घटनाओं का डाटा जुटाया। इसके बाद उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए घरेलू हिंसा के बीच संबंधों का विश्लेषण किया। इन जलवायु आपदाओं में बाढ़, तूफान, भूस्खलन, अधिक तापमान, सूखा, भूकंप, ज्वालामुखी, जंगल की आग को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि बाढ़ का घरेलू हिंसा से सबसे अधिक गहरा संबंध देखने को मिला। इसके बाद तूफान और भूस्खलन की घटनाओं से हिंसा के मामले जुड़े। हालांकि, शोधकर्ताओं को अन्य जलवायु आपदाएं जैसे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और जंगल की आग हिंसा के मामले को प्रभावित नहीं करते पाए गए। अध्ययन के दौरान शोधकर्ता ने सलाह दी कि देशों की आपदा योजना प्रक्रियाओं में महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर विचार किए जाने की जरूरत है। साथ ही जलवायु शमन और अनुकूलन जैसे प्रयास महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विशेषज्ञों ने माना कि अलग-अलग जलवायु आपदाएं हिंसा पर प्रभाव डालने में अलग डाटा उपलब्ध करा सकता है।