लंदन। कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) इंसानों के साथ अब पेड़- पौधों से भी बात करेगा। ब्रिटेन के जॉन इन्स सेंटर का दावा है कि ये दुनिया का पहला एआई मॉडल है जो पेड़-पौधों की भाषा समझेगा। मॉडल को पेड़- पौधों की 1124 प्रजातियों के 54 अरब राइबो न्यूक्लिक एसिड (आरएनए) की जानकारी से जोड़ा गया है। इसी के जरिए वे पेड़-पौधों के भ्रीतर चल रही हर गतिविधि का सटीक आकलन करेगा। शोध नेचर मशीन इंटेलिलेंस में प्रकाशित हुआ है।
प्रमुख शोधकर्ता डॉ. हाओपेंग यू का कहना है कि पेड़- पौधों के विकास में आरएनए की अहम भूमिका होती है। पेड़- पौधों कितने तनाव में हैं या उन्हें कब खाद- पानी की जरूरत महसूस है इसका भी पता चल सकेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि पेड़- पौधों में पाए जाने वाला प्रोटीन और केमिकल रिएक्शन से पेड़-पौधे अपनी बात बताते हैं। एआई में आरएनए से जुड़ी जानकारी फीड होने के बाद पेड़- पौधों की हर गतिविधि को जाना जा सकता है। आरएनए जीवों की कोशिकाओं में पाया जाने वाला रसायन होता है जिससे उनकी गतिविधि पता चलती है। वैज्ञानिकों का दावा है कि पेड़- पौधों की दुनिया में एआई का उपयोग बढ़ने से प्रकृति की दुनिया बदल सकती है। पेड़- पौधों को किसी तह का रोग होने का पता पहले चल सकता है। कीटनाशकों के इस्तेमाल से पेड़- पौधों को किस तरह का नुकसान हो रहा, इसका सटीक आकलन किया जा सकता है। ऐसे में जलवायु संकट के बीच पेड़- पौधों की उम्र बढ़ सकती है। जॉन इन्स सेंटर के प्रमख प्रोफेसर यिलियांग डिंग का कहना है कि पेड़- पौधों के मन की बात समझने का फायदा ये होगा कि फसलों और फलों की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी। मौसम के तीखे तेवर के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकता है। उम्मीद है कि एआई के जरिए मौसम के बदलते मिजाज के साथ जरूरी पेड़-पौधों में बदलाव कर सकते हैं।