मोबाइल से हो रही है बच्चों की पुतलियां टेढ़ी

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नई दिल्ली। मोबाइल का अधिक इस्तेमाल बच्चों को अब नया दर्द दे रहा है। कोरोना महामारी के बाद मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से उनकी आंखों की पुतलियां टेढ़ी हो रही हैं। इसकी वजह से दोनों आंखें ठीक तरह से सामंजस्य नहीं बिठा पा रही हैं या यूं कहें कि एलाइन नहीं हो पा रही हैं। साथ ही दोनों आंखें एक साथ एक बिंदु पर केंद्रित नहीं हो पा रही हैं। विशेषज्ञों को दावा है कि हर दिन 100 से ज्यादा बच्चे इलाज के लिए डॉक्टरों से संपर्क कर रहे हैं। ऐसे बच्चों की उम्र पांच से 14 वर्ष के बीच की है।
इस बीमारी को स्क्विंट या स्ट्राबिस्मस कहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के केस पहले सप्ताह में एक-दो आते थे, लेकिन कोरोना महामारी के बाद अब ऐसे मरीजों की संख्या पांच से सात गुना बढ़ गई है। यह चिंताजनक है। बच्चों का मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट, कंप्यूटर पर स्क्रीन टाइम अधिक बिताना इसका सबसे बड़ा कारण है। यह बीमारी ज्यादातर शहरी बच्चों को हो रही है। कारण, शहरी क्षेत्र में रहने वाले अभिभावक अक्सर बच्चों को चुप कराने, खाना खिलाने, पढ़ाने या फिर व्यस्त रखने के लिए मोबाइल पकड़ा दे रहे हैं, जो उनकी आंखों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है। चिंता की बात यह है कि बच्चे छोटे हैं और उन्हें इस बीमारी से निजात पाने के लिए आंखों की कसरत सिखाई जा रही है, जो वे कर नहीं पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में ऑपरेशन ही एक विकल्प है। हाल ही में आठ साल के एक बच्चे का ऑपरेशन किया गया है। वह अब स्वस्थ है लेकिन उसकी निगरानी चल रही है। बच्चे की दोनों आंखें एलाइन नहीं थीं। अब ऑपरेशन के बाद आंखें सीधी हो गईं और पुतलियां सीधे तौर पर धीरे-धीरे काम कर रही हैं। इस बीमारी से निजात के लिए बच्चों को 20 सेकंड तक 20 फुट दूर देखने की सलाह दी जाती है। अगर बच्चा लगातार 20 मिनट तक फोन का इस्तेमाल कर रहा है तो वह 20 मिनट बाद 20 सेंकंड तक 20 फुट की दूरी को लगातार देखें। कोशिश हो कि बच्चे मोबाइल की जगह लैपटॉप, कंप्यूटर का इस्तेमाल करें तो ज्यादा अच्छा है।

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