वाशिंगटन। रिश्तों की मजबूत डोर का सकारात्मक असर सेहत पर भी पड़ता है। माता-पिता के साथ बच्चे का बेहतर रिश्ता उसके बड़े होने पर उसकी सेहत तय करता है। अमेरिकी थिंक टैंक बुक्रिंग इंस्टीट्यूशन और गैलअप के सर्वेक्षण में ये नतीजा सामने आया है। शोध कम्युनिकेशन्स साइकोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है। प्रमुख शोधकर्ता जोनाथन टी रॉथवेल के अनुसार बच्चों के साथ मां-बाप का व्यवहार और उनके बीच के अपनत्व का असर बच्चे के बड़े होने पर उसकी सेहत पर दिखता है। दुनिया के 21 देशों में करीब दो लाख लोगों पर हुए सर्वेक्षण के बाद वैज्ञानिकों इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। सर्वेक्षण में बड़े हो चुके लोगों से पूछा गया कि जब वे छोटे थे तो क्या उन्हें अपने माता- पिता से प्रेम या लगाव महसूस हुआ था। इसमें पाया गया कि जिन लोगों ने इसका जवाब सकारात्मक ढंग से दिया वे उन लोगों की तुलना में ज्यादा खुश और स्वस्थ थे जिन्हें बचपन में अपने माता-पिता से प्यार और अपनत्व नहीं मिला। सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 93 फीसदी व्यस्कों ने कहा कि उन्हें बचपन में अपने पिता से प्यार मिला। मिस्र में भी इतने ही व्यस्कों ने माना कि उन्हें बढ़ती उम्र में पिता से भरपूर प्यार मिला। इंडोनेशिया में ये दर 96 फीसदी थी। हालांकि हांगकांग में ये दर 65, अर्जेंटीना में 74 अमेरिका में 75 और जापान में 66 फीसदी वयस्क ने माना कि उन्हें पिता से प्रेम मिला। वैज्ञानिकों का कहना है कि सर्वेक्षण में बच्चों और अभिभावकों से 19 तरह के सवाल पूछे गए थे। जवाब के आधार पर उसका विश्लेषण किया गया। इसमें देखा गया कि जिन बच्चों को माता-पिता से प्यार नहीं मिला उनके भीतर निराशा और अवसाद जैसी समस्या थी। शोधकर्ताओं के अनुसार रिश्तों का असर मन पर पड़ता है जिससे भविष्य की सेहत तय होती है। शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि माता-पिता की शिक्षा-दीक्षा और संपन्नता का असर भी बच्चों की सेहत पर देखने को मिला। हालांकि इसमें बहुत बड़ा अंतर देखने को नहीं मिला। बच्चे किसी भी परिस्थिति में पले- बढ़े लेकिन उन्हें परस्पर अपने अभिभावकों से प्रेम मिलता रहा तो वे मन से मजबूत रहने के साथ बढ़ती उम्र में मानसिक रोगों से भी बचे रहे। संपन्न देशों के संपन्न परिवारों में जन्मे बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर मिला। यहां बच्चों को संपन्नता के साथ प्यार भी मिला। विकासशील और गरीब देशों के साथ गरीबी, युद्ध और भूखमरी वाले देशों में पलने वाले बच्चों के मन पर बुरा असर देखा गया। हालांकि परिवार में पलने के कारण बुरे हालात में भी ऐसे बच्चे बढ़ती उम्र में मजबूत और स्वस्थ पाए गए।