नई दिल्ली, देव कुमार।
आईवीएफ से जन्मे बच्चों में हार्ट की बीमारी का खतरा आम बच्चों से दोगुना होता है। वैज्ञानिकों ने यह एक शोध में दावा किया है। उनके मुताबिक, अगर बच्चा जुड़वां पैदा हो तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है। शोध के निष्कर्ष पीर-रिव्यू जर्नल हार्ट में प्रकाशित किए गए हैं।
स्वीडन में गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर उल्ला-ब्रिट वेनरहोम ने कहा, जब बच्चे बहुत छोटे होते हैं तो जन्मजात हृदय दोष बेहद गंभीर हो सकते हैं। इसके लिए विशेषज्ञ सर्जरी की आवश्यकता होती है। इसलिए यह जानने से कि कौन से बच्चे सबसे अधिक जोखिम में हैं, हमें हृदय दोषों का शीघ्र निदान करने में मदद मिल सकती है।
शोधकर्ताओं ने 77 लाख से अधिक लोगों पर किए अध्ययन में पाया गया कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी सहायक प्रजनन तकनीक ऐसे शिशुओं में जन्मजात हृदय संबंधी समस्याओं की संभावना को काफी बढ़ा सकती है। इसमें डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन में 20 से 31 वर्ष की अवधि में पैदा हुए सभी बच्चों के मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया। इसका विश्लेषण बच्चे के जन्म का वर्ष, देश, प्रसव के समय मां की उम्र, क्या मां गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करती थी, या क्या मां को मधुमेह या हृदय दोष था जैसी चीजों को ध्यान में रखकर किया गया था। उन्होंने पाया कि आईवीएफ और ऐसे अन्य तरीकों से पैदा हुए शिशुओं में हृदय संबंधी दोष अधिक आम हैं, प्राकृतिक रूप से गर्भ धारण करने वाले शिशुओं की तुलना में यह समस्या लगभग 36 प्रतिशत अधिक आम है।