न्यूयॉर्क। एक अध्ययन में हृदय रोगियों को लगातार बढ़ रहे वायु प्रदूषण से बचने की हिदायत दी गई है। इसमें कहा गया है कि खराब होती वायु गुणवत्ता दिल के मरीजों के सीने में सूजन बढ़ा सकती है। धीरे-धीरे इस सूजन के असर से पूरा शरीर भी प्रभावित हो सकता है। शिकागो में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पेश किए गए अध्ययन में ये जानकारी सामने आई है। अमेरिका की सॉल्ट लेक सिटी में स्थित हेल्थकेयर कंपनी इंटरमाउंटेन हेल्थ के शोधार्थियों ने यह अध्ययन किया है। इसमें कहा गया है, हृदय रोगी वायु प्रदूषण के प्रभावों के प्रति बहुत ज्यादा संवेदनशील पाए गए हैं। शोधार्थियों ने कहा, हमने पाया कि अधिक प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाले हृदय रोगियों के सीने में सूजन के दो घातक प्रकार बढ़े हुए हैं, जिन्हें सीसीएल27 और आईएल-18 कहा जाता है। ये दोनों ही शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, यह पहले से पता है कि वायु प्रदूषण हृदय रोगियों के लिए घातक होता है पर इस कारण सीने में सूजन के संबंध में पहले कोई अध्ययन नहीं हुआ था। प्रमुख शोधार्थी प्रोफेसर बेंजामिन हॉर्न ने कहा, वायु प्रदूषण के कारण सीने में बढ़ी दो प्रकार की सूजन का असर सिर्फ हृदय रोगियों में ही देखा गया। स्वस्थ लोगों पर इसका असर देखने को नहीं मिला। इससे यह पता चलता है कि हृदय रोगी पर्यावरण में तेजी से हो रहे बदलावों के अनुसार ढल नहीं पा रहे हैं। इसकी वजह यह है कि पर्यावरण में बदला बहुत तेजी से हो रहा है। इस अध्ययन के लिए विभिन्न शहरों में मौजूद हृदय रोगियों के स्वास्थ्य डाटा का विश्लेषण किया गया और इनमें से कुछ के खून के नमूने एकत्रित किए। शोधकर्ताओं ने 115 प्रकार के प्रोटीनों पर प्रदूषण का असर जानने के लिए रक्त परीक्षण किए। उन्होंने पाया, अधिक प्रदूषित शहरों में रहने वाले हृदय रोगियों में सूजन की समस्या ज्यादा थी। वहीं, जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहतर था, वहां के हृदय रोगियों पर सूजन की समस्या नहीं थी। दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई के लगातार बढ़ने से हृदय रोगियों के लिए समस्या बढ़ सकती है। दरअसल, अमेरिका की बीएमजी पत्रिका में हाल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में गया है कि एक्यूआई का 400 से ज्यादा होना हृदय रोगियों के लिए खतरनाक है। इतने एक्यूआई में पीएम 2.5 की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। वायु प्रदूषण में मौजूद ये छोटे-छोटे कण सांस के जरिये खून में जाते हैं। यह हृदय के आसपास की नसों में जमने लगते हैं। पीएम 2.5 और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) जैसे प्रदूषक तत्व ज्यादा खतरनाक होते हैं। इससे हृदय के आसपास खून जमने की शिकायत हो सकती है।