लखनऊ। राजेन्द्र तिवारी
देश वैज्ञानिकों को कोरोना के खिलाफ पहली एंटीवायरल दवा खोजने में बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कोरोना से मुकाबले के लिए उमीफेनोविर दवा खोजी है। यह दवा कोरोना के हल्के, मध्यम लक्षण व उच्च जोखिम वाले मरीजों में कारगर पाई गई है। मंगलवार को यह खुलासा पत्रकार वार्ता में सीएसआईआर-सीडीआरआई के निदेशक डॉ. तपस कुंडू ने किया।
सीतापुर रोड स्थित सीडीआरआई दफ्तर में पत्रकार वार्ता हुई। निदेशक डॉ. तपस कुंडू ने बताया कि केजीएमयू, लोहिया संस्थान और एरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती 132 कोरोना मरीजों पर तीसरे चरण का ड्रग ट्रॉयल किया। ट्रायल में 18 से 75 साल के मरीजों को शामिल किया गया। इसमें कोरोना के हल्के व मध्यम लक्षण वाले मरीजों को शामिल किया गया। दवा बनाने की तकनीकी गोवा की मेडिजेस्ट मैसर्स को दी गई है। दवा जल्द ही गोली (टैबलेट) और सिरप के रूप में बाजार में उपलब्ध होगी।
डॉ. तपस के मुताबिक कोरोना के हल्के व मध्यम लक्षण वाले मरीजों को उमीफेनोविर -800 एमजी की डोज दिन में दो बार देनी है। पांच दिन में संक्रमण काफी हद तक काबू में आ सकता है। दवा डेल्टा वैरिंएट में भी असरदार पाई गई है। डेल्टा प्लस वैरिएंट में भी दवा कारगर साबित हो सकती है। हालांकि अभी डेल्टा के नए वैरिएंट को लेकर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।