डाकर। जीवाश्म ईंधन जलाने में हो रही वृद्धि से अफ्रीका में अप्रैल में ही गर्म हवाएं चलने लगी हैं।
अफ्रीका के साहेल में अप्रैल के शुरुआत से ही जानलेवा गर्म हवाओं का प्रकोप शुरू हो गया। वर्ल्ड वेदर एट्रीब्यूशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए) ने अपने अध्ययन में इसका कारण मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन बताया है। इसका कहना है कि बगैर इसके अप्रैल माह में इतनी गर्म हवाओं का चलना संभव नहीं। अध्यन गुरुवार को प्रकाशित हुआ। पश्चिमी अफ्रीकी देशों माली और बुर्किना फासो में एक अप्रैल से पांच अप्रैल तक काफी गर्म हवाएं चलीं। इसके साथ ही तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया जिसे अनेकों मौतें भी हुईं। डब्ल्यूडब्ल्यूए के शोधकर्ताओं द्वारा अध्ययन के दौरान इस्तेमाल किए गए विभिन्न जलवायु मॉडल और विश्लेषण के अनुसार, ‘मार्च और अप्रैल 2024 में चलने वाली गर्म हवाएं 1.2 सेल्सियस के ग्लोबल वार्मिंग के बिना संभव नहीं जिसके पीछे का कारण वैज्ञानिक मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन बता रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जीवाश्म ईंधन को जलाने से धरती गर्म हो रही है। अध्ययन में यह भी कहा गया कि भीषण गर्मी वाले पांच दिन 200 सालों में एक बार आते हैं लेकिन यही ट्रेंड रहा तो जल्दी ही गर्मी का प्रकोप दुनिया के हर कोने में होगा।