नई दिल्ली। टीएलआई
संसद में सोमवार को दशकों की परंपरा टूट गई। हंगामे के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए मंत्रियों का परिचय संसद में नहीं करा सके। ऐसे में उनको मंत्रियों की सूची दोनों सदनों में सभा पटल पर रखनी पड़ी।
मानसून सत्र का पहला दिन बेहद हंगामेदार रहा। सोमवार को दोनों सदनों में विभिन्न मुद्दों पर हमलावर विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने नए मंत्रिपरिषद के साथियों का भी परिचय नहीं कराने दिया। प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा है कि दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग और महिला मंत्रियों का यहां परिचय कराया जाए। उन्होंने विपक्षी दलों के रवैये को महिला एवं दलित विरोधी मानसिकता का परिचय करार दिया।
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने पहले लोकसभा में और बाद में राज्य सभा में जब नए मंत्रियों का सदन में परिचय देना शुरू किया। उसी दौरान दोनों सदनों में विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया। राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू एवं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से शांत होने और मंत्रियों का परिचय होने देने की अपील की। किंतु उनकी अपील का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ। बिरला ने कहा कि विपक्ष परंपराओं को न तोड़े। आप लंबे समय तक शासन में रहे हैं, परंपरा को तोड़कर सदन की गरिमा को कम नहीं करें। प्रधानमंत्री सदन के नेता हैं और फेरबदल के बाद मंत्रिपरिषद का परिचय करा रहे हैं। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से शांति से नए मंत्रियों का परिचय होने देने की अपील की। हंगामे पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह सोच रहे थे कि सदन में एक उत्साह का वातावरण होगा, क्योंकि बड़ी संख्या में हमारी महिला सांसद मंत्री बनी हैं। आज खुशी का माहौल होगा कि आदिवासी साथी बड़ी संख्या में मंत्री बने हैं। किसान परिवार और ग्रामीण परिवेश से आने वाले, सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समाज से आने वालों को बड़ी संख्या में मंत्रिपरिषद में स्थान मिला है। उनके परिचय से खुशी होनी चाहिए थी। दलित मंत्री बनें, महिला मंत्री बनें, ओबीसी मंत्री बनें, किसान परिवारों के लोग मंत्री बनें, शायद यह बात कुछ लोगों को रास नहीं आ रही है, इसलिए वह उनका परिचय भी नहीं होने देते। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नए मंत्रियों का परिचय कराने के दौरान कांग्रेस सदस्यों के हंगामे को दु:खद और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि उन्होंने संसद में ऐसा दृश्य अपने 24 वर्ष के संसदीय जीवनकाल में नहीं देखा। उन्होंने कहा कि संसद की सबसे बड़ी शक्ति स्वस्थ परंपराएं होती हैं। ये परंपराएं संविधान एवं संसद नियमों पर आधारित होती हैं। इनको बनाकर रखना सत्ता पक्ष, विपक्ष सभी की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि जो भी प्रधानमंत्री होते हैं वह कार्यवाही शुरू होने पर सबसे पहले अपने मंत्रिमंडल विस्तार की जानकारी देते हैं। एक मंत्री हों या अनेक मंत्री हों, प्रधानमंत्री सभी का परिचय कराते हैं और पूरा सदन उनकी बात को शांतिपूर्ण तरीके से सुनता है। कांग्रेस ने आज जो किया है वह दु:खद और दुर्भाग्यपूर्ण है।