न्यूजीलैंड। सांस का चलना जिंदगी के लिए जरूरी तो है ही, दिमाग में यादों को संजोने में भी इसकी अहम भागीदारी है। नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। जब इंसान नींद में होता है तब दिमाग दिनभर मिली नई जानकारियों को इकट्ठा करता है। इस क्रम में सांस लेने की प्रक्रिया का पूरा असर होता है। प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, नींद के दौरान सांस लेने की प्रक्रिया इंसान के दिमाग में यादों और सीखने की गतिविधि पर असर डालती है। यादों को जमा करने वाला दिमाग का हिस्सा हिप्पोकैम्पस है। इस हिस्से में उठने वाली दिमाग की तरंगों के तार इंसान की सांस लेने के पैटर्न से जुड़ा है। अध्ययन के ये निष्कर्ष नींद की बीमारी स्लीप एप्निया के इलाज में मददगार साबित हो सकते हैं। स्लीप एपनिया एक गंभीर नींद संबंधी विकार है। इससे नींद के दौरान इंसान सांस लेना बंद कर देता है। इससे इंसान की यादों पर असर होता है। अध्ययन की प्रमुख लेखक और नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में न्यूरोलॉजी की प्रोफेसर क्रिस्टीना जिलानो ने कहा, ‘यादों को संजोने के लिए नींद के दौरान हिप्पोकैम्पस में तीन विशेष तंत्रिका उभरती हैं। इनपर नींद के दौरान इंसान द्वारा सांस लिए जाने का पूरा असर होता है।’ वैज्ञानिकों के दल ने ऐसे छह मरीजों को शोध के लिए चुना जिन्हें रात के समय दौरा आता हो। इनके दिमाग में हिप्पोकैंपस का निरीक्षण किया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि जिन लोगों को नींद के दौरान सांस लेने में कठिनाई होती है, उन्हें चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। अध्ययन के अनुसार, नींद के दौरान यादों को जमा करने में सांस लेने का पैटर्न महत्वपूर्ण है।