नई दिल्ली। अर्पणा पांडेय
भाजपा ने 2022 की शुरुआत में पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत का रविवार को संकल्प लिया। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से पेश किए गए राजनीतिक प्रस्ताव में आगामी चुनावों को लेकर जीत का विश्वास जताया गया। बैठक में योगी पार्टी के अकेले ऐसे मुख्यमंत्री थे, जो व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए, जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों से वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लिया। योगी को खासतौर पर बैठक में भाग लेने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने ही राजनीतिक प्रस्ताव भी रखा।
भाजपा की भावी रणनीति में अगले साल होने वाले पांच राज्यों (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा और पंजाब) के चुनाव सर्वोपरि हैं। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के केंद्र में उत्तर प्रदेश का चुनाव रहा, जो देश का सबसे बड़ा राज्य भी है। यही वजह है कि पार्टी की हाइब्रिड बैठक (दो माध्यम से आयोजित बैठक) में जहां सभी राज्यों के नेतृत्व को अपने-अपने राज्यों से ही वर्चुअल माध्यम से हिस्सा लेने को कहा गया था, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खासतौर पर बैठक के लिए दिल्ली बुलाया गया था। इतना ही नहीं, योगी ने पार्टी का राजनीतिक प्रस्ताव भी पेश किया। इसके पहले भी पार्टी के मुख्यमंत्री राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राजनीतिक प्रस्ताव पेश करते रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश का चुनाव होने की वजह से इस बार योगी को ज्यादा महत्व दिया गया है।
गौरतलब है कि जून 2011 में लखनऊ में हुई पार्टी की कार्यकारिणी बैठक में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक प्रस्ताव रखा था, जिसका समर्थन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने किया था। इसके अलावा शिवराज सिंह चौहान और वसुंधरा राजे सिंधिया भी अलग मौकों पर राजनीतिक प्रस्ताव पेश कर चुके हैं। इस प्रस्ताव पर केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, अश्विनी वैष्णव, मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपने विचार रखे। बैठक में पंजाब के भाजपा अध्यक्ष ने सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की बात रखी। गौरतलब है कि पंजाब में अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद भाजपा नए साथी तलाश रही है। इनमें कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी भी शामिल है, लेकिन फिलहाल पार्टी अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।