पटना। राजेंद्र तिवारी
विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी भाजपा की कमान बिहार के जेपी नड्डा के हाथों में आ गई है। जी हां, जेपी नड्डा का जन्म न सिर्फ बिहार के पटना में हुआ है बल्कि नड्डा ने शिक्षादीक्षा के साथ ही राजनीतिक का ककहरा भी बिहार से सीखा है।
बिहार में जन्मे और हिमाचल के कद्दावर नेता जेपी नड्डा को जैसे ही भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया, दोनों राज्यों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। जेपी नड्डा को हिमाचल प्रदेश के कद्दावर नेताओं में शुमार किया जाता है। जे पी नड्डा का पूरा नाम जगत प्रकाश नड्डा। लो-प्रोफाइल रहकर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के हाई-प्रोफाइल नेता बनने का उनका सफर काफी लंबा रहा है। जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर राजनीति में कदम रखने वाले नड्डा ने अपनी छवि एक प्रभावी और कुशल रणनीतिकार की बनाई। भाजपा का नेतृत्व बदलता रहा लेकिन पार्टी में उनकी हैसियत कभी नहीं बदली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संगठन में उनकी पैठ बढ़ती रही। वह पुराने नेतृत्व के भी करीब रहे तो आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भी भरोसेमंद माने गए। अब पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद यह कहना मुनासिब ही होगा कि वे भाजपा की ताकतवर तिकड़ी का हिस्सा बन गए हैं। जानकारी के अनुसार ब्राह्मण परिवार में जन्मे जेपी नड्डा का जन्म 2 दिसंबर 1960 को पटना में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा और बीए की पढ़ाई पटना से हुई। जेपी नड्डा के पिता और माता का नाम डॉ. नारायण लाल नड्डा और कृष्णा नड्डा है। नड्डा के पिता नारायण लाल नड्डा पटना यूनिवर्सिटी के कुलपति थे। जेपी नड्डा के राजनीतिक सफर की शुरुआत साल 1975 के जेपी आंदोलन से हुई थी। देश के सबसे बड़ा आंदोलनों में शुमार इस मूवमेंट का जेपी नड्डा हिस्सा बने थे। इस आंदोलन में भाग लेन के बाद नड्डा बिहार की छात्र शाखा एबीवीपी में शामिल हो गए थे। इसके बाद जेपी नड्डा ने साल 1977 में अपने कॉलेज में छात्र संघ का चुनाव लड़ा था और इस चुनाव में जीत के बाद वे पटना यूनिवर्सिटी के सचिव बने थे। सूत्रों के अनुसार 1982 में उन्हें उनकी पैतृक जमीन हिमाचल में विद्यार्थी परिषद का प्रचारक बनाकर भेजा गया। वहां छात्रों के बीच नड्डा ने ऐसी लोकप्रियता हासिल कर ली थी कि उनके नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश विवि के इतिहास में पहली बार एबीवीपी ने जीत हासिल की। 1983-84 में वे विवि में एबीवीपी के पहले अध्यक्ष बने। 1977 से 1990 तक करीब 13 साल के लिए एबीवीपी समेत कई पदों पर रहे। 1989 में तत्कालीन सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार की लड़ाई के लिए राष्ट्रीय संघर्ष मोर्चा बनाया। 1991 में 31 साल की उम्र में भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर उभरे। छात्र राजनीति में तप चुके नड्डा 1993 में पहली बार हिमाचल प्रदेश में विधायक बने। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री रहे तो वन एवं पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री का जिम्मा भी संभाला।