पटना । राजेन्द्र तिवारी
बिहार के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को छात्रों से लेकर किसानों तक पर बजट में दरियादिली दिखाई।उन्होंने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 2 लाख करोड़ का बजट विधानसभा में पेश किया।इसके तहत वार्षिक स्कीम में अगले साल 1 लाख करोड़ खर्च होंगे, जबकि अभी मौजूदा वित्तीय वर्ष 2018-19 में वार्षिक मद में 91 हजार 794 करोड़ ही है।
2019 के चुनावी वर्ष होने के कारण विधानमंडल का सत्र अल्पावधि का है। इससे चालू सत्र में विभागवार मांगों पर विचार किया जाना संभव नहीं है। अत: वर्ष 2019-20 के बजट पेश किए जाने के बाद 15 फरवरी को लेखानुदान संबंधी प्रस्ताव पर वाद-विवाद के बाद मतदान होगा और इस संबंध में चार माह के खर्च के लिए विनियोग विधेयक पारित कराया जायेगा। वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 11 मेडिकल कॉलेज खोले जायेंगे। पीएमसीएच को 5000 बेड का अस्पताल बनाये जाने और सुविधाओं में विस्तार के लिए 5540 करोड़ रुपये की योजना को स्वीकृति दी गयी है।
बिहार के स्कूली छात्रों के साइकिल योजना के लिए 292 करोड़, पोशाक राशि के लिए 15 सौ करोड़ और सेनेटरी नैपकिन के लिए 300 करोड़ रुपये दिये जायेंगे। बिहार में अगले दो सालों में हर घर में बिजली का प्रीपेड मीटर लगाया जायेगा। वित्त वर्ष 2019-20 में ऊर्जा विभाग 8894 करोड़ करेगा खर्च। केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी साल 2017-18 में 65,083.38 करोड़ रुपये था, यह वर्ष 2019-20 में 89,121.79 करोड़ रुपए अनुमानित हैं। वहीं सहायक अनुदान 49,019.38 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है। केंद्रीय क्षेत्र स्कीम के लिए 1390.02 करोड़ रुपये का प्रावधान है। कृषि विभाग को 2958 करोड़, भवन को 5375 करोड़, गृह विभाग को 10968 करोड़, ग्रामीण कार्य को 10917 करोड़, ग्रामीण विकास को 15669 करोड़, नगर विकास विभाग को 5158 करोड़ का बजट आवंटन हुआ है।2 लाख करोड़ के बजट में सबसे अधिक शिक्षा पर 34798 करोड़ खर्च होगा। इसके बाद रोड पर 17923 करोड़, स्वास्थ्य पर 9622 करोड़, ऊर्जा पर 8894 करोड़ जबकि समाज कल्याण मद में 10615 करोड़ खर्च होंगे।पटना में सीसीटीवी लगाने के लिए 110 करोड़ स्वीकृत किये गये हैं। देश में सब्जी उत्पादन के मामले में बिहार तीसरे, फल उत्पादन में छठें, आम उत्त्पादन में पांचवें, केला उत्पादन में आठवें स्थान पर है। पैक्सों के लिए 1692 करोड़ की योजना को मंजूरी दी गयी है। बिहार में सबसे ज्यादा खर्च शिक्षा पर होता है. 34,798 करोड़ रुपये शिक्षा पर, 18 हजार करोड़ रुपये सड़क पर, 15,669 ग्रामीण विकास पर, 11 हजार करोड़ रुपये गृह विभाग पर खर्च किये जायेंगे।