अयोध्या राम मंदिर : गर्भगृह में विराजने पहुंचे रामलला

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अयोध्या। सैकड़ों सालों के बाद आखिरकार बुधवार को वह घड़ी आ ही गई जब मंदिर के गर्भगृह में विराजने के लिए रामलला पहुंचे। चारों ओर घंट घड़ियाल बज रहे थे। रामभक्तों में उत्साह इतना था कि अयोध्या ही नहीं पूरा देश बुधवार दोपहर में राममय हो रहा था।

गर्भगृह में पूजन

काशी के ज्योतिषाचार्य पं गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ और काशी प्रतिष्ठाचार्य लक्ष्मी कांत दीक्षित की देखरेख में वैदिक आचार्यों ने राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान के आसन को अभिमंत्रित किया। सबसे पहले भगवान के आसन के नीचे भूमि में तैयार गड्ढे में 48 द्रव्यों जिसमें सप्त धान्य व नौ रत्नों के अतिरिक्त अनेक प्रकार की वनस्पतीय औषधियों को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ रखा गया। इसे बाद पुनः श्रीराम यंत्र को रखकर पूजन किया गया। फिर गड्ढे को ऊपर से बंद कर रामलला की प्रतिष्ठा के योग्य बनाया गया। फिर रामलला के रजत विग्रह का भी पूजन किया गया।

पूजन उत्सव


अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार श्रद्धालुओं को लगभग पांच सौ सालों से है। अब यह इंतजार खत्म हो गया। अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए चल रहे अनुष्ठान के तहत बुधवार को दूसरे निर्धारित मुहूर्त में दोपहर 1: 25 बजे से मां सरयू का विधिवत पूजन किया गया। यज्ञमंडप में प्रतिष्ठित होने वाले नौ ताम्र कलशों का पूजन करने के बाद प्रमुख यजमान डॉ. अनिल मिश्र व उनकी धर्मपत्नी उषा मिश्रा ने कलश लेकर चलने के लिए पांच सुहागिनों का भी वरण किया। इन सुहागिनों का चयन पहले ही कर उन्हें सरयू तट पर आमन्त्रित किया गया था। इस पूजन के उपरांत सरयू का जल कलश में भरकर जल यात्रा की शुरुआत हुई। यह जल यात्रा भी प्रतीकात्मक थी। इसके बाद निर्धारित मुहूर्त में बुधवार सायं 4.20 बजे रामलला के प्रतिरूप रजत विग्रह का पूजन किया गया। फिर पालकी में बिठाकर कर प्रतीकात्मक रूप से नवीन मंदिर की परिधि में भ्रमण कराया। रामभक्त रामलला के अंचल विग्रह को बुधवार देर शाम कर्म कुटीर से बंद वाहन में रामपथ से श्रीरामजन्म भूमि परिसर में ले गए। घंट घड़ियालों के ध्वनि के बीच जयकारों के साथ रामलला की पालकी को सहारा देने के लिए रामभक्त लालायित रहे। नियुक्त प्रतिष्ठाचार्य पं लक्ष्मीकांत दीक्षित के बेटे व सहायक आचार्य अरुण दीक्षित ने बताया कि रामलला के अचल विग्रह की प्रतिष्ठा नियत पर करने के बाद उनके अधिवास का शुभारम्भ गुरुवार को हो जाएगा। इस अनुष्ठान का शुभारम्भ गणपति के पूजन से होगा। पुनः मात्रिका पूजन, पंचांग पूजन व मंडप प्रवेश होगा। इसके उपरांत शुक्रवार को मंदिर की वास्तु शांति के साथ अरणि मंथन से यज्ञकुंड में अग्नि देव का प्राकट्य कराया जाएगा और फिर होम की शुरुआत होगी। उधर यज्ञमंडप में श्रीमद वाल्मीकि रामायण, भुसुंडि रामायण व आनंद रामायण सहित अन्य ग्रंथों का पारायण व वेदों का पारायण भी चल रहा है।

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