नई दिल्ली। नीलू सिंह
पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में पानीपत के बहुचर्चित समझौता ब्लास्ट मामले में 12 साल बाद बुधवार को असीमानंद समेत चारों आरोपियों को बरी कर दिया। समझौता ब्लास्ट में 68 यात्रियों की मौत हो गई थी, जिसमें 16 बच्चे और चार रेलकर्मी भी शामिल थे।
भारत-पाकिस्तान के बीच सप्ताह में दो दिन चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को पानीपत के दीवाना स्टेशन के पास विस्फोट हुआ था। ट्रेन दिल्ली से लाहौर जा रही थी। विस्फोट में 68 लोगों की मौत हो गई थी और 12 लोग घायल हुए थे। इनमें अधिकांश पाकिस्तानी थे।इस मामले में असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी के खिलाफ आईपीसी की धारा- 120 बी, 302, 307, 324, 326, 124-ए, 430, 440 के तहत केस दर्ज किए गए थे। साथ ही रेलवे एक्ट के तहत आईपीसी की धारा-150, 151, 152 के तहत दर्ज किया गया था। इसके अलावा अन ला फुल एक्टिविटी के तहत केस दर्ज किया गया था। इसके अलवा पब्लिक प्रॉपर्टी को डैमेज करने की धाराओं में भी केस दर्ज किया गया था। बुधवार को पंचकूला की एनआईए कोर्ट ने जैसे ही अपना फैसला सुनाया, मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी के चेहरे खिल उठे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पानीपत के वकील मोमिन मलिक द्वारा सीआरपीसी की धारा-311 के तहत गवाही के लिए लगाई गई याचिका को भी खारिज कर दिया। मामले में 224 गवाहों के बयान अभियोजन पक्ष की ओर से दर्ज हुए थे। जबकि बचाव पक्ष की ओर से कोई गवाह पेश नहीं हुआ।