वाशिंगटन। अमेरिका अपनी मिसाइल रक्षा प्रणाली की तैनाती को और सुदृढ़ तथा दीर्घकालिक करने की तैयारी में है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संबंध में कहा कि दुश्मनों की मिसाइलों को नष्ट करने के उद्देश्य से रक्षा प्रणाली को मजबूत करना जरूरी है।
गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ने पेंटागन में मिसाइल रक्षा प्रणाली की समीक्षा के दौरान कहा कि जमीन और समुद्र में तैनात की गईं मिसाइल अवरोध रक्षा प्रणाली को और मजबूत तथा लंबे समय तक तैनात रखने के लिए उन्नत तकनीक का सहारा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके तहत रूस और चीन जैसी हाइपरसोनिक और नयी क्रूज मिसाइलों की पहचान के लिए पृथ्वी के निचली कक्ष में उपग्रह सेंसर लगाये जाएंगे। दुश्मनों की मिसाइलों को कहीं भी और किसी भी स्थान पर ध्वस्त करने के मद्देनजर इस प्रणाली को और मजबूत करने का निर्णय लिया गया है। कार्यवाहक रक्षा सचिव पैट्रिक शानहान ने समीक्षा बैठक के बाद कहा कि इसके पहले वर्ष 2010 में बराक ओबामा प्रशासन के दौरान इस तरह की समीक्षा की गई थी। वहीं ट्रंप प्रशासन ने द्विपक्षीय सामरिक साझीदारी को और मजबूत करने के प्रयासों के तहत भारत के साथ संभावित मिसाइल रक्षा सहयोग पर चर्चा की है। पेंटागन ने बताया कि नई दिल्ली, अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति में अहम तत्व है। भारत ने रूस से एस-400 वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए पांच अरब डॉलर का ऑर्डर दिया है जिसे लेकर अमेरिका ने सार्वजनिक तौर पर नाखुशी जताई है।
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