वाशिंगटन। अमेरिका और चीन के बीच एक बार फिर तनातनी हो गई है। इस बार मामला चीन की टेलीकॉम कपंनी हुआवेई का है। अमेरिकी प्रशासन ने हुआवेई और और उसकी मुख्य वित्तीय अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज किया है। अमेरिका ने हुआवेई पर बैंक धोखाधड़ी, न्याय में बाधा डालने और व्यापार की खुफिया जानकारी चुराने समेत 13 आरोप लगाए हैं। यही नहीं ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है।
बताया जा रहा है कि हुआवेई पर अमेरिका की टी-मोबाइल कंपनी की व्यापारिक खुफिया जानकारी चुराने का आरोप है। टी-मोबाइल ने 2014 में हुआवेई के खिलाफ शिकायत भी की थी। आरोपों के अनुसार हुआवेई ने यह चोरी 2012 में शुरू की थी।
यही नहीं हुआवेई पर अमेरिका और एक वैश्विक बैंक को गुमराह करने के आरोप हैं। आरोपों के मुताबिक चीनी कंपनी ने हुआवेई डिवाइस यूएसए और स्काईकॉम टेक के ईरान के साथ कारोबारी रिश्तों की बात छुपाई। जबकि ट्रंप प्रशासन ने परमाणु कार्यक्रम के चलते ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगा रखे हैं। ये आरोप ऐसे समय में लगाए गए हैं जब अमेरिका और चीन के बीच 30 और 31 जनवरी को व्यापार वार्ता होने वाली है। चीनी कंपनी पर लगाए गए ये आरोप दोनों देशों के बीच जारी तनाव को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। बहरहाल व्हाइट हाउस ने मंगलवार को इन दोनों घटनाओं के बीच किसी भी तरह का संबंध होने की बात को नकार दिया। वहीं हुआवेई का कहना है कि वह टी-मोबाइल के साथ सिविल विवाद को 2014 में निपटा चुकी है। हुवावेई के बयान में कहा गया है कि कारोबारी खुफिया जानकारी चुराने के आरोप सिविल मुकदमे के तहत आते हैं, जिसमें ज्यूरी को कोई नुकसान और जानबूझ कर की गई कोई विद्वेषपूर्ण कार्रवाई नहीं मिली। गौरतलब है कि अमेरिका के कहने पर पिछले साल 1 दिसंबर को कनाडा के वैंक्यूवर शहर में हुआवेई की मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मेंग वानझोऊ की गिरफ्तारी हुई थी। 10 दिन बाद उन्हें सशर्त जमानत मिली थी। वहीं अमेरिका कनाडा से मेंग का प्रत्यर्पण चाहता है। नियमों के मुताबिक 30 जनवरी तक प्रत्यर्पण की अर्जी दाखिल करने की तारीख है। अमेरिका का कहना है कि वह समय रहते अपील दायर कर देगा।