सोनभद्र। जलाल हैदर खान
यूपी के सोनभद्र- सिंघरौली परिक्षेत्र में वायु प्रदूषण देश की राजधानी दिल्ली को भी मात देने लगा है। स्थिति यह है कि दिल्ली से दो गुना ज्यादा वायु प्रदूषण इस क्षेत्र में अनेक बीमारियो को जन्म दे रही है और सोनभद्र में राष्ट्रीय वायु स्वच्छता कार्यक्रम की हवा निकल रही है। वही सर्दी के आहट के साथ ही हवा में चिंताजनक स्थिति में पहुंची जहरीले तत्वों की मात्रा ने लोगों को डराना शुरू कर दिया है। पिछले तीन दिन से सोनभद्र-सिंगरौली की हवा में बड़ी प्रदूषक तत्वों की मात्रा ने दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया है। वहीं दो दिन से यहां के प्रदूषण का आंकड़ा टॉप पर बना हुआ है। हालत यह है कि जरा सा मौसम में उतार-चढ़ाव सर्दी खांसी के मरीजों में इजाफा तो कर ही रहा है। लंग कैंसर के भी मरीज तेजी से बढ़ने शुरू हो गए हैं। देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र में शुमार सोनभद्र-सिंगरौली की एरिया पिछले 30 साल से गहरे प्रदूषण का दंश झेल रही है इसके चलते जहां 30 से अधिक गांवों की तीन पीढ़ियां दिव्यांगता का दंश झेल रही हैं। वहीं कैंसर, बांझपन, त्वचा रोग, घटती रोग प्रतिरोधक क्षमता, नर्वस सिस्टम पर असर पड़ने के कारण खुदकुशी करने वालों की संख्या बढ़ रही है । एनजीटी की सख्ती के बाद कागजों पर प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास तो खूब हुए लेकिन हकीकत यह है कि वर्तमान में ऊर्जांचल की सड़कों पर पानी छिड़काव बंद हो चुका है। अस्पतालों से प्रदूषण जनित रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर नदारद हैं। सोनभद्र के पर्यावरण में प्रदूषण झेलने की क्षमता कितनी रह गई है? एनजीटी के निर्देश के बावजूद सरकारी तंत्र इसके अध्ययन की जरूरत अब तक नहीं समझ सका है। फेफड़ों के हवा भरने की छमता लगातार घट रही है। बनवासी सेवा आश्रम गोविंदपुर एवं एक अन्य संस्था के अध्ययन के अनुसार ऊर्जांचल की आधे से अधिक आबादी के फेफड़े प्रदूषण से किसी न किसी रूप में प्रभावित हो चुके हैं। कोरोना काल में सबसे ज्यादा केस भी इसी एरिया से आए। बावजूद सड़कों पर उड़ती कोयले की धूल, धूप के बावजूद हवा में छाए कोहरे जैसा धुंध, खुले में होता कोयला परिवहन नियंत्रण के नाम पर चल रही कवायदों की हवा निकाल रहा है। यह स्थिति तब है जब राष्ट्रीय वायु स्वच्छता कार्यक्रम के तहत देश भर के 101 शहरों की सूची में यूपी के पावर कैपिटल अनपरा का भी नाम शामिल है। प्रोग्राम में प्रतिवर्ष 30 से 35% प्रदूषण घटाने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन जो ताजा आंकड़े बता रहे हैं उसके मुताबिक सोनभद्र की हवा में बढ़ते प्रदूषण के शहर में दिल्ली जैसे संवेदनशील जगह को भी पीछे छोड़ कर रख दिया है।
प्रदूषण नियंत्रण को लेकर भारत जैसे देशों में बढ़ती जाती लापरवाही को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से अक्टूबर माह के पहले सप्ताह में हवा में प्रदूषक तत्वों के मानक को और कड़ा कर दिया गया है। पहले जो मानक (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 25 तय किया गया था। उसे घटाकर 15 कर दिया गया है। इस मानक पर ध्यान दें तो सोनभद्र की हवा में शर्दी की आहट के साथ ही, प्रदूषण का जहर मानक (15) के 16 गुना से भी अधिक (246) फैल गया है। इंडेक्स के अनुसार -सोनभद्र के प्रदूषण ने दिल्ली को छोड़ा काफी पीछे: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से प्रति 24 घंटे पर जारी किए जाने वाले आंकड़े बताते हैं कि 23 अक्टूबर को दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 173 था, वहीं सिंगरौली एरिया (सोनभद्र शामिल) में इससे 237 दर्ज किया गया। 24 अक्टूबर को दिल्ली में सूचकांक 160, सोनभद्र में 246, 25 अक्टूबर को दिल्ली में सूचकांक 82 और सोनभद्र में 215 रिकॉर्ड किया गया। आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि सोनभद्र में प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर चल रही कवायदें कितनी जिम्मेदारी से परवान चढ़ाई जा रही हैं। एनजीटी के याचिकाकर्ता जगत नारायण, विश्वकर्मा सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के संयोजक रामेश्वर भाई कहते हैं कि सरकारी तंत्र की उदासीनता प्रदूषण पर लगाम न लगने का एक बड़ा कारण है। कई गांवों में लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए स्थापित आरओ प्लांट बंद पड़े हैं। धूल से राहत के लिए सड़कों पर होने वाला पानी का छिड़काव भी लंबे समय से बंद पड़ा है। एनजीटी में प्रति तीन माह पर दी जाने वाली स्टेटस रिपोर्ट में सरकारी तंत्र की तरफ से किए जाने वाले उपायों को लेकर बेहतरी के दावे तो किए जाते हैं लेकिन हकीकत में काफी कुछ उसके उलट रहता है। मामले को लेकर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टी एन सिंह से सेल फोन पर सम्पर्क नही हो सका।