देहरादून। अनीता रावत
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के आयुष विभाग की ओर से एमबीबीएस के विद्यार्थियों के लिए सप्ताहव्यापी आयुष फंडामेंटल कोर्स का आयोजन किया गया। संस्थान के आयुष विभाग में सप्ताहभर चले कोर्स के समापन अवसर पर अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि एम्स जैसे मेडिकल संस्थान का उद्देश्य ही चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में नित्य नई खोजों के लिए प्रेरित करना है। निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि समाज में तेजी से फैलते लाइफस्टाइल डिस्ऑडर्स से निजात पाने के लिए संपूर्ण विश्व आयुष पद्धतियों की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है।
निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने उम्मीद जताई कि इस तरह के कदम चिकित्सा विज्ञान के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने बताया कि यह कोर्स मेडिकल स्टूडेंट्स को आयुष संबंधी रेंडमाइज्ड कंट्रोल्ड ट्रायल करने की प्रेरणा भी देगा। आयुष विभागाध्यक्ष प्रो.वर्तिका सक्सेना ने बताया कि एलोपैथिक चिकित्सा द्वारा लगभग 60 से 70 प्रतिशत बीमारियों का पूर्णतः इलाज संभव नहीं है। हालांकि एलोपैथिक चिकित्सा ट्रॉमा व सर्जरी के मामलों में सबसे ज्यादा कारगर है। मगर कई बीमारियों जैसे एलर्जी,ऑर्थराइटिस, डाइबटिक, हाईपरटेंशन, मानसिक बीमारियों का इस पद्धति में जड़ से इलाज हो पाना संभव नहीं है, जिससे मरीज को पूरी जिंदगी दवाओं पर गुजारनी पड़ती है। लिहाजा यह कोर्स चिकित्सकों को अन्य भारतीय पद्धतियों द्वारा उपलब्ध इलाज की जानकारी देगा। जिससे वह मरीज को उपचार पद्धति के विकल्प दे सकेंगे। बताया कि कोर्स का उद्देश्य एलोपैथी डॉक्टरों को आयुष का एक्सपर्ट बनाना नहीं है, बल्कि उन्हें अन्य पद्धतियों में बेहतर उपचार की जानकारी देना है। फार्मोकालाजी विभागाध्यक्ष प्रो.शैलेंद्र हांडू,बैंगलुरू की प्रो.सजीथा, योगाचार्य रूद्र भंडारी,इंदौर के होम्योपैथी चिकित्सक लिंसीराम टेके,अलीगढ़ के यूनानी चिकित्सा विशेषज्ञ डा.मोहम्मद मोहसिन, चेन्नई के सिद्धा विशेषज्ञ प्रो.एम.मीनाक्षी सुंदरम ने व्याख्यान दिए। आयोजन में बायोकेमिस्ट्री एचओडी प्रो.अनीषा मिर्जा, आयुष विभाग की डा.मीनाक्षी जगझापे, डा.विंतेश्वरी नौटियाल, डा.अन्विता सिंह, डा.रविंद्र अंथवाल, डा.वैशाली गोयल, संदीप कंडारी,किरन बर्तवाल, अंकित जुयाल,अनीता ने सहयोग प्रदान किया।