देहरादून। अनीता रावत
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के ऑर्थोपेडिक विभाग के चिकित्सकों की टीम ने एक महिला के कंधे के ट्यूमर की सफल सर्जरी कर महिला के हाथ को कटने से बचा लिया। इस जटिल सर्जरी को अंजाम देने में सीटीवीएस और एनेस्थीसिया विभाग ने भी सहयोग किया। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने अत्यधिक जटिल में सफलता के लिए चिकित्सकीय टीम की सराहना की है। निदेशक एम्स ने बताया कि संस्थान के हड्डी रोग विभाग में ट्यूमर के क्षेत्र में काफी जटिल ऑपरेशन हो रहे हैं। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने बताया कि अत्याधुनिक पद्धति के साथ संस्थान में इस तरह की जटिल सर्जरी की जा रही है। एम्स का उद्देश्य रोगियों को आधुनिकतम उपचार मुहैया कराना है। एम्स के हड्डी रोग विशेषज्ञ डा.तरुण गोयल ने बताया कि उत्तरकाशी जिले की 24 वर्षीय महिला साल भर से कंधे में दर्द व सूजन से परेशान थी। 25 सेंटीमीटर गोलाई के इस ट्यूमर से आसपास की नसें भी चिपकी थी। जिससे हाथ काटने की स्थिति बन जाती है। मगर हाथ काटने की बजाए जटिल सर्जरी से ट्यूमर समेत कंधे की हड्डी को निकाल दिया गया और उसकी जगह कृत्रित कंधे के जोड़ (रिवर्स सोल्डर) का प्रत्यारोपण किया गया। जो कि आधुनिकतम कंधे का जोड़ है, उन्होंने बताया कि इसके तहत भारत देश में अब तक कुछ ही ऑपरेशन हुए हैं। उन्होंने बताया कि कंधे में पुराने किस्म का जोड़ डालने पर मूवमेंट आने की संभावना अमूमन नहीं रहती मगर आधुनिक जोड़ से मूवमेंट की पूरी संभावना है। गरीब पृष्ठभूमि की महिला कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते उपचार नहीं करा पा रही थी,लिहाजा एम्स में आयुष्मान भारत योजना के तहत उसका ऑपरेशन किया गया जिस पर डेढ़ लाख का खर्च आया है। डा.तरुण ने बताया कि निजी अस्पताल में इस सर्जरी पर पांच से छह लाख तक खर्च आता है। आर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डा.शोभा एस.अरोड़ा की देखरख में हुई सर्जरी टीम में सीटीवीएस विभाग के डा.अंशुमान दरबारी, एनिस्थिसिया के डा.अजय कुमार, डा.सौविक, डा.रामप्रिया, आकृति आदि शामिल थे।