कोलंबो।
श्रीलंका में 34 साल बाद बौद्ध भिक्षुओं के नरसंहार की जांच शुरू हो गई है। इस मामले में मंगलवार को श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से जानकारी दी गई।
श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को हुई सुनवाई में अटॉर्नी जनरल के अधिवक्ता ने बताया कि देश ने 1987 में तमिल अलगाववादियों लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (लिट्टे) ने बौद्ध भिक्षुओं से भरे बस पर हमला कर 31 लोगों की हत्या कर दी थी। इस मामले की जांच शुरू हो गई है। अटॉर्नी जनरल के अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि इस घटना में सुरक्षित बचे बौद्ध भिक्षु अनदौलपोथा बुद्धसारा ने हमले के बारे में अपना बयान दर्ज करा लिया है। अल्पसंख्यक तमिलों के लिए देश के उत्तरी और पूर्वी प्रांतों में अलग राज्य की मांग कर रहे लिट्टे ने दो जून, 1987 को पूर्वी अम्पारा जिले के अर्नाथलावा में यह हमला किया था। बस में कुल 33 बौद्ध भिक्षु और तीन सामान्य नागरिक यात्रा कर रहे थे । लिट्टे ने जब बस रोक कर उसपर अंधाधुंध गोलियां चलायीं तो इसमें कम से कम 31 भिक्षुओं की मौत हो गई। इस मामले में भी लिट्टे के हमलों से संबंधित तमाम मामलों की तरह किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई और ना हीं कोई कानूनी कार्यवाही हुई थी।