काबुल।
अफगानिस्तान में महिलाओं ने काम पर लौटने की इच्छा व्यक्त की है। महिलाओं ने काम का अधिकार पाने के लिए अपनी आवाज बुलंद की है, लेकिन तालिबान ने उनकी इस इच्छा पर रोक लगा दी है। टोलो न्यूज ने यह जानकारी दी है।तालिबान ने वादा किया था कि उसका नया युग अधिक उदार होगा, लेकिन तालिबान नेताओं ने यह गारंटी देने से इनकार कर दिया है कि महिलाओं के अधिकार वापस नहीं लिए जाएंगे। रिफॉर्म एंड सिविल सर्विस कमीशन (आरसीएससी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछली सरकार में करीब 1,20,000 महिलाएं सिविल संगठनों में काम कर रही थीं। यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि नई सरकार काम करने वाली महिलाओं पर कैसे फैसला करेगी। पूर्व पुलिस अधिकारी हनीफा हमदार ने बताया कि वह अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि मैं एक विधवा हूं। मेरे चार बच्चे हैं। अगर मैं काम पर नहीं जाऊंगी तो मेरा परिवार कैसे चलेगा। तालिबान ने केवल महिलाओं को स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में काम पर लौटने की अनुमति दी। वहीं, डॉक्टर लीमा मोहम्मदी कहा कि अस्पतालों और अन्य जगहों पर महिलाओं की आवश्यकता है। जैसे पुरुष काम करते हैं, वैसे ही महिलाओं को भी काम करना चाहिए। वहीं शुगुफा नजीबी ने बताया कि जब मैं कार्यालय गई, तो तालिबान ने मुझे ऑफिस में प्रवेश करने से रोक दिया। मैंने पूछा मुझे काम करने से क्यों रोक दिया गया? जबकि आपके अधिकारियों का कहना है कि महिलाएं भी काम कर सकती हैं। उन्होंने बताया कि जब मैं कार्यालय से घर आ गई तो तालिबान ने मुझे मेरे साथियों के माध्यम संदेश भिजवाया कि अब आपको और कार्यालय आने की जरूरत नहीं है। नजीबी ने भारत से कानून में मास्टर डिग्री पूरी की है और करीब 10 वर्षों से अफगान संसद में काम कर रही थीं। अफगानिस्तान पुनर्निर्माण के विशेष निरीक्षक (एसआईजीएआर) के आंकड़ों के मुताबिक अफगानिस्तान में सैन्य क्षेत्र में 5,000 से ज्यादा महिलाएं काम कर रही थीं। वहीं संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाचेलेट ने सोमवार को अफगानिस्तान में नई अंतरिम सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस सरकार में महिलाओं को जगह नहीं दी गई है। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष मिशेल बाचेलेट ने कहा कि वह कार्यवाहक कैबिनेट की समावेशिता की कमी से निराश हैं। इस सरकार में न तो महिला और न ही गैर-पश्तून को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में सभी शीर्ष पदों को आंदोलन और हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख नेताओं को सौंप दिया।