नई दिल्ली । देश के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडाणी ने मंगलवार को हरित महत्वाकांक्षाओं की दिशा में प्रयास जारी रखने के साथ ऊर्जा लागत और उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित नजरिया अपनाने की वकालत की। अडाणी का यह बयान दुबई में जारी 28वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी-28) के बीच आया है। इस सम्मेलन में 118 देशों की सरकारों ने वर्ष 2030 तक दुनिया की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तिगुना करने का संकल्प जताया है। लेकिन ऊर्जा उत्पादन में जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी की मात्रा कम करने पर स्थिति साफ नहीं हो पाई है। अडाणी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने एक पोस्ट में संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की बात कही। उन्होंने कहा, ”सीओपी-28 के शुरुआती उत्साहजनक संकेतों के बीच यह याद रखना प्रासंगिक है कि कुल मिलाकर (हमारी 1.4 अरब जनसंख्या को देखते हुए) हम दुनिया के तीसरे सबसे बड़े प्राथमिक ऊर्जा उपभोक्ता हैं लेकिन हमारी प्रति व्यक्ति बिजली खपत 1,250 किलोवाट घंटा के साथ वैश्विक औसत के एक-तिहाई से भी कम और विकसित दुनिया के एक-सातवें हिस्से से भी कम है।” उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक अपनी उत्सर्जन तीव्रता को वर्ष 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत तक कम करने की प्रतिबद्धता को पूरा करने में अपने लक्ष्य से आगे निकलने वाला एकमात्र बड़ा देश है। उन्होंने कहा, ”सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को अपनी विशाल हरित महत्वाकांक्षाओं में तेजी लाने के साथ-साथ अपनी ऊर्जा लागत, ऊर्जा उपलब्धता और हरित ऊर्जा उद्देश्यों को संतुलित करना चाहिए।” कोयला से लेकर खाद्य तेल तक के कारोबार में सक्रिय अडाणी समूह के मुखिया ने कहा, ”वर्ष 2030 तक 75 अरब डॉलर के निवेश के संकल्प के साथ अडाणी समूह उत्सर्जन तीव्रता को कम करने के इस कार्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।”