महिला सशक्तिकरण और नवाचार का अद्भुत संगम: हल्द्वानी की अंजली बोरा ने शिशुण (बिच्छू) घास से तैयार की औषधीय गुणों वाली चाय।

उत्तराखंड लाइव देहरादून

हल्द्वानी, दिनांक 22 अप्रैल 2025 को महिला महाविद्यालय हल्द्वानी की छात्रा अंजली बोरा ने नवाचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए शिशुण (बिच्छू) घास से औषधीय गुणों से भरपूर चाय तैयार की है। यह अनूठा प्रयोग न केवल स्वास्थ्य लाभ से भरपूर है, बल्कि महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण तथा स्थानीय संसाधनों के नव उपयोग का प्रेरणास्रोत भी है।

अंजली बोरा मूल रूप से नैनीताल जनपद के दुर्गम क्षेत्र बेतालघाट खैरना की निवासी हैं। उनके पिता पेशे से किसान हैं, और सीमित संसाधनों के बावजूद अंजली ने अपने प्रयासों से यह सिद्ध किया है कि संकल्प और परिश्रम के बल पर कुछ भी संभव है। वह नमामि गंगे और राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की सक्रिय स्वयंसेवी भी हैं और सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं।

अंजली ने बताया कि एनएसएस प्रभारी और नमामि गंगे के नोडल अधिकारी डॉ0 रितुराज पंत ने उनको स्थानीय एनजीओ से जोड़ते हुए गत माह में नेटल टी बनाने के लिए प्रेरित किया। उत्तराखंड में पाई जाने वाली बिच्छू घास पर विशेष अध्ययन किया। उसके बाद अंजली ने अपने क्षेत्र में पाई जाने वाली बिच्छू घास के पिता की और अन्य परिवारजनों के साथ मिलकर हर्बल चाय तैयार की है। यह चाय अपने अदभुत औषधीय गुणों के कारण देश विदेशों में पी जाती है। ये मुख्य रूप से सर्दी-खांसी, पाचन संबंधी समस्याओं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक है।

इस अवसर पर नमामि गंगे कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. रितुराज पंत ने इस नवाचार की सराहना करते हुए कहा कि, अंजली का यह प्रयास ‘अर्थ गंगा’ के लक्ष्य से भी जुड़ता है, जिसमें गंगा से जुड़े क्षेत्रों में आजीविका के नए साधनों को बढ़ावा देने की बात कही गई है। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय संसाधनों से नवाचार कर स्वरोजगार के रास्ते खोलना अत्यंत सराहनीय कदम है।

महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो0 आभा शर्मा ने भी इस उपलब्धि पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि, छात्राओं में नवाचार की भावना और सामाजिक सहभागिता से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।
अंजली बोरा की यह पहल न केवल उनके उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पारंपरिक ज्ञान को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़कर किस प्रकार नई संभावनाएं और रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा सकते हैं। भविष्य में इस नवाचार को व्यावसायिक रूप देकर स्थानीय महिलाओं को भी इससे जोड़ने की योजना है। इसी क्रम में आज अंजली ने अपनी सहपाठियों को भी चाय बनाने की विधि के बारे में बताया। अंजली ने बताया कि गत माह से अभी तक वो लगभग 4 हजार की चाय बेच चुकी हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी नमामि गंगे की सदस्य डॉ0 गीता पंत, डॉ0 रेखा जोशी, डॉ0 हिमानी, डॉ0 फकीर सिंह आदि ने अंजली को बधाई दी।

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