देहरादून। अनीता रावत
भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में स्लीप लैबोरेटरी विधिवत शुरू हो गई, जिसमें निंद्रा से जुड़ी विभिन्न बीमारियों का उपचार किया जाएगा। दो बैड की लैब में लेवल- वन स्लीप स्टडी की सुविधा उपलब्ध है। शुक्रवार को एम्स के मनोरोग विभाग के तहत संचालित स्लीप लैब का संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने विधिवत शुभारंभ किया।
इस मौके पर निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने बताया कि उत्तराखंड में सरकारी अस्पतालों में स्लीप लैब की सुविधा उपलब्ध नहीं है, जिससे स्लीप डिस्ऑर्डर से जुड़े मरीजों को बीमारी के इलाज के लिए निजी अस्पतालों व राज्य से बाहर जाना पड़ता है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने बताया कि 10 से 15 प्रतिशत वयस्क व्यक्ति अनिंद्रा नाम की बीमारी से पीड़ित होते हैं, जबकि 6 से 8 फीसदी लोग खर्राटे के साथ सांस रुकने वाली बीमारी ओएसए से पीड़ित होते हैं। उन्होंने बताया कि इन बीमारियों का समय पर उपचार नहीं कराने से कई अन्य तरह की बीमारियां मसलन ब्लड प्रेशर का बढ़ना, हार्ट की बीमारियां, मधुमेह, लकवा आदि होने लगती हैं। एम्स निदेशक प्रो.रवि कांत ने बताया कि संस्थान में स्लीप लैब स्थापित होने से अनिंद्रा रोग से ग्रसित मरीजों को निहायत कम खर्च में वल्र्ड क्लास उपचार मिल सकेगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल लैब में दो बैड हैं जिसमें भविष्य में सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।
मनोरोग विभागाध्यक्ष डा.रवि गुप्ता ने बताया कि स्लीप एप्निया के मुख्य लक्षण में खर्राटे आना, नींद में सांस का रुकना, सुबह सर में भारीपन रहना, रात में मुहं सूखना, रात को बार बार पेशाब आना,दिन में नींद आ जाना आदि हैं, जबकि नाकोलेपसी में असमय नींद आना,अचानक शरीर में कमजोरी आना आदि लक्षण हैं। इस अवसर पर डीन प्रो.सुरेखा किशोर,डीन एलुमिनाई प्रोफेसर बीना रवि, एमएम डा.ब्रह्मप्रकाश, प्रो.मनोज गुप्ता, प्रो.लतिका मोहन, डा.गिरीश सिंधवानी,डा.सौरभ वाष्र्णेय, डा.नीरज कुमार, डा.पूर्वी कुलश्रेष्ठा,डा.एसपी अग्रवाल, डा.गीता नेगी, डा.लोकेश सैनी, डा.हर्षित, डा.विक्रम सिंह रावत, डा.जितेंद्र रोहिला, डा.विशाल धीमान, डा.अनिंद्या दास, प्यार सिंह राणा आदि मौजूद थे।